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This Article is From Aug 17, 2015

वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर दो पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर बैठे

वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर दो पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर बैठे
नई दिल्ली: वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर दो पूर्व सैनिक कर्नल पुष्पेन्दर सिंह और हवलदार मेजर सिंह आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।

कर्नल पुष्पेंदर 3 ग्रेनिडियर्स और हवलदार सिंह 3 सिख लाइट इंफ्रैटी बटालियन से जुड़े हैं।

बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठे कर्नल पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि "हम मर जाएंगे तो हमारी लाश फैमिली लेकर जाएगी, लेकिन बिना मांग माने हम नहीं उठेंगे।"

भूख हड़ताल तोड़ने को लेकर मनाने की कई कोशिशें हुईं। कभी हाथ जोड़े गए तो कभी लाउडस्पीकर से अपील की गई, लेकिन 16 अगस्त से बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठे कर्नल पुष्पेंद्र और हवलदार मेजर सिंह ने ठान लिया है कि मोर्चे से नहीं डिगेंगे। हवलदार मेजर सिंह कहते हैं कि जैसे बॉर्डर पर आखिरी गोली तक हम लड़ते रहते हैं, ठीक वैसे ही जब तक जान है तब तक भूख हड़ताल पर रहेंगे।

इससे पहले बीते दो महीनों से पूर्व सैनिक जंतर-मंतर के अलावा देश के कई हिस्सों में रिले भूख हड़ताल पर बैठे थे, पर इन्हें अब तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। इसके बावजूद पूर्व सैनिकों का रिले भूख हड़ताल भी जारी है।

इन पूर्व सैनिकों को और ज्यादा निराशा हुई जब लालकिले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका ऐलान नहीं किया। बस इतना कहा कि सरकार इस मांग पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत है और सभी पक्षों से इसको लेकर बातचीत चल रही है। पूर्व सैनिकों ने प्रधानमंत्री के इस बात को नकार दिया है और अपने आंदोलन को और तेज करने की बात कही है।

सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इसको लागू करने पर सरकारी खजाने पर 20,000 करोड़ का बोझ पड़ेगा लेकिन पूर्व सैनिकों का कहना है इसमें केवल 8,300 करोड़ की खर्च आएगा। इसके लागू होने 22 लाख पूर्व सैनिकों और 6 लाख युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की पत्नियों को तुरंत फायदा होगा। 

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