
राज्यों के वित्तमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की शिरकत में होने वाली जीएसटी काउंसिल (GST council )की अहम बैठक से पहले सरकार के सलाहकार का कहना है, कोरोनावायरस महामारी के दौरान राज्यों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) राजस्व में हुए नुकसान की पूरी भरपाई करनी होगी. सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने अटार्नी जनरल (Attorney General) केके वेणुगोपाल से इस मामले में कुछ अहम प्रश्नों पर सलाह मांगी है, ताकि जीएसटी के अंतर्गत की गई राज्यों की मांग को पूरा किया जा सके.
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बीजेपी के स्वयं के नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी कहा है कि केंद्र को राज्यों को जीएसटी मुआवजे का भुगतान करना चाहिए क्योंकि यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है. अटार्नी जनरल के जवाब ने कथित रूप से वित्त मंत्रालय में हलचल मचा दी है और जीएसटी एक्ट के कारगर होने पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है.
यह हैं केंद्र के सवाल और जवाब...
क्या केंद्र सरकार को आवश्यक धनराशि नहीं होने की स्थिति में भी पांच साल के संक्रमण काल में राज्यों को पूरा मुआवजा देने की जरूरत है?
अटार्नी जनरल का जवाब: किसी भी कमी के बावजूद केंद्र सरकार, राज्यों को पूरा मुआवजा देने के लिए बाध्य है.
केंद्र सरकार ने पूछा कि क्या उसे धनराशि में आई कमी को आंशिक या पूर्ण रूप से वहन करना होगा?
अटार्नी जनरल का जवाब: यह जीएसटी काउंसिल पर है कि वह इस बारे में क्या निर्णय लेती है. काउंसिल ऐसी सिफारिश नहीं कर सकती जिसका केंद्र सरकार विरोध करे.
राजस्व विभाग ने पूछा कि राज्यों को मुआवजे की पांच साल की अवधि को बढ़ाया जा सकता है या नहीं?
अटार्नी जनरल का जवाब: जब तक राज्य इस मोहलत के लिए तैयार नहीं होते, इस अवधि को नहीं बढ़ाया जा सकता.
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