नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने एक नई किताब में कहा है कि वह 'न तो धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी नेताओं के नजरिए वाला भारतीय बन सकते हैं' और 'न ही ऐसे लोगों के नजरिए वाला कश्मीरी बन सकते हैं, जो भारत के एक हिस्से के तौर पर कश्मीर का कोई भविष्य नहीं देखते.' अब्दुल्ला ने एक किताब 'India Tomorrow: Conversation with the Next Generation of Political Leaders' में कहा कि ऐसे में सबसे अच्छा यही है कि आप दूसरों के हिसाब से खुद को नहीं ढालें और आप जो हैं, वही बने रहें. इस किताब का हाल में विमोचन हुआ है.
पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद उमर अब्दुल्ला को हिरासत में ले लिया गया था. अब्दुल्ला ने कहा कि 232 दिन की हिरासत ने उन्हें 'चिड़चिड़ा' और 'गुस्सैल' बना दिया था, फिर भी जम्मू-कश्मीर को भारत का एक अभिन्न अंग मानने के उनके जांचे-परखे रुख में कोई बदलाव नहीं आया.
अब्दुल्ला ने किताब के लेखकों प्रदीप छिब्बर और हर्ष शाह के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है. मेरी हिरासत और पांच अगस्त के बाद के हालात ने भी मेरे ये विचार बदलने के लिये मजबूर नही कर पाए.' उन्होंने कहा, ‘क्योंकि मैंने यह सोच सभी तरह की चीजों को जोड़ते हुए बनाई है. मुझे नहीं लगता कि भारत से अलग जम्मू-कश्मीर का कोई भविष्य हो सकता है.'
यह किताब पाठकों को देश की अगली पीढ़ी के 20 सबसे प्रभावशाली नेताओं के साक्षात्कारों के जरिए भारत की समकालीन राजनीति की दिशा जानने का मौका देती है. अब्दुल्ला ने किताब में कहा, 'मैंने यह हकीकत कबूल कर ली है कि मैं कभी धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी नेताओं के नजरिए वाला भारतीय नहीं बन सकता हूं. लेकिन, तब मैं कभी ऐसे लोगों के नजरिए वाला कश्मीरी भी नहीं बन सकता हूं, जो भारत के एक हिस्से के तौर पर कश्मीर का कोई भविष्य नहीं देखते. लिहाजा, सबसे अच्छा यही है कि आप दूसरों के हिसाब से खुद को नहीं ढालें और आप जो हैं, वही बने रहें.'
उन्होंने जोर देकर कहा कि 'भारत ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ' जो किया उसे किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता. अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें लगता है कि जम्मू-कश्मीर के साथ 'बहुत, बहुत बुरा' सलूक किया गया और 'उससे किया गया हर एक वादा तोड़ दिया गया.' उन्होंने कहा, 'मेरे जैसे लोगों के लिये यह समझाना मुश्किल हो गया है कि मुझे क्यों लगता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का ही अंग रहना चाहिए. दिल्ली ने हमें इस मुद्दे पर और बात करने लायक नहीं छोड़ा.' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वो पीएम मोदी से कभी भी जम्मू-कश्मीर में जो किया गया है, उसे वापस लेने को नहीं कहेंगे.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं