हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (Hyderabad Municipal Corporation) के उच्च अधिकारियों के लिए 17 आईफोन का ऑर्डर दिया गया था जिनमें से हर एक मोबाइल फोन की कीमत 1.6 लाख रुपए थी, हंगामा मचने के बाद इस ऑर्डर को रोक दिया गया. महापौर की अध्यक्षता में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की निवर्तमान स्थायी समिति ने नागरिक निकाय के वार्षिक बजट अनुमानों को मंजूरी देने के लिए खुद को आकर्षक उपकरण भेंट किए थे.
यह ऐसे समय में आया है जब तेलंगाना राज्य के राजस्व को अन्य राज्यों की तुलना में काफी नुकसान उठना पड़ा है, क्योंकि राज्य ने इस बार COVID-19 महामारी और हैदराबाद की सबसे खराब बाढ़ देखी, जिससे व्यापक रूप से लोग पीड़ित हुए और सार्वजनिक और निजी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ.
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स्थायी समिति, जिसका कार्यकाल फरवरी 2021 में समाप्त होना है और जब एक नया पैनल चुना जाएगा, गुरुवार को उस समिति ने 14 प्रस्तावों को पारित करने के लिए बैठक की और निगम के लिए 5,600 करोड़ के वार्षिक बजट अनुमान को मंजूरी दी.
भाजपा प्रवक्ता कृष्णसागर ने हाल ही में हुए नगरपालिका चुनावों का जिक्र करते हुए कहा, "यह टीआरएस द्वारा सत्ता का बेशर्म दुरुपयोग है, जिसके कारण लोगों ने उन्हें जीएचएस चुनावों में खारिज कर दिया है,"
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"जब जीएचएमसी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा नहीं है, तो जनता के पैसे का उपयोग करके उन्हें खुद को उपहार देने का अधिकार किसने दिया है?" कृष्णसागर ने कहा, जिनकी पार्टी ने 150 वार्डों में से 48 जीतकर सत्तारूढ़ टीआरएस को चौंका दिया, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी को 56 मिले.
मेयर बुंट्टू राममोहन (Mayor Bonthu Rammohan) ने बजट पारित करने के लिए अतीत में लैपटॉप और टैबलेट देने की "परंपरा" का हवाला दिया और कहा कि इस बार मेयर, डिप्टी मेयर और अन्य स्थायी समिति के सदस्यों को आईफ़ोन दिया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त, उन्होंने कर्मचारियों को समान महंगे iPhone 12 प्रो मैक्स 512 जीबी की सिफारिश की, जिसमें एक सहायक आयुक्त, महापौर के निजी सचिव और महापौर के अतिरिक्त निजी सचिव शामिल हैं.
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स्थायी समिति को iPhones भेंट करने ऐसा ही एक प्रस्ताव भी जून में बनाया गया था, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ाया गया. एनडीटीवी को मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि 17 आईफ़ोन की खरीद के लिए 31 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है.
आलोचकों का कहना है कि तथाकथित "परंपरा" के बावजूद, निवर्तमान टीम को थोड़ी संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी क्योंकि यह हैदराबाद में बड़े पैमाने पर बाढ़ का एक साल था जब नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ था. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार ने हर बाढ़ पीड़ित परिवार को 10,000 रु. का भुगतान करने का वादा किया था, लेकिन कई लोग अब भी शिकायत करते हैं कि उन्हें मुआवजा नहीं मिला है.
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