जब ओडिशा विधानसभा में मुख्यमंत्री के सामने यूं दंडवत लेट गए कुछ दलित विधायक...

जब ओडिशा विधानसभा में मुख्यमंत्री के सामने यूं दंडवत लेट गए कुछ दलित विधायक...

भुवनेश्वर:

शुक्रवार ओडिशा विधानसभा में एक अजीब स्थिति तब पैदा हो गई जब कांग्रेस और बीजेपी के कुछ दलित विधायक अपनी मांग को लेकर 'झोली फैलाकर' बात रखने की कोशिश करते रहे और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जब ध्यान नहीं दिया तो कुछ विधायक उनके सामने दंडवत लेट गए। यह सब देखते हुए विधानसभा में मौजूद विधायकों के साथ-साथ मुख्यमंत्री भी घबरा-से गए और विधानसभा छोड़कर चले गए। फिर ये विधायक वेल के पास भूख हड़ताल पर बैठ गए और स्पीकर को विधानसभा की कार्रवाई रोकनी पड़ी।

क्या है पूरा मामला....
कुछ दलित विधायकों ने 3 मई को अपने कुछ मांगों को लेकर विधानसभा के स्पीकर को मिले थे लेकिन जब सरकार की तरफ से कोई  खास ध्यान नहीं दिया गया तो इन विधायकों ने 11 मई को विधानसभा के अंदर मुख्यमंत्री के ऑफ़िस के सामने भूख हड़ताल शुरू कर दी। 12 मई को मुख्यमंत्री पहुंचने से पहले विधानसभा के अंदर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने इन विधायकों को वहां से हटा  दिया। फिर यह विधायक स्पीकर के ऑफ़िस के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए और शुक्रवार को जब विधानसभा शुरू हुई तब इन विधायकों ने यह कारनामा कर दिया।

 

क्या मांग कर रहे हैं यह विधायक...
कांग्रेस के दलित विधायक प्रफुल्ल माझी का कहना है कि उनकी चार मांगें हैं। पहली, मेडिकल और इंजीनिरिंग कॉलेजों में दलितों के लिए 38.75 प्रतिशत आरक्षण हो। दूसरी मांग है, संविधान के 85 संशोधन के तहत सरकारी नौकरी में दलितों को पदोन्नति हो। 'कैच अप' नीति को समाप्त किया जाए। तीसरी मांग है, प्राइवेट नौकरी में भी दलितों को आरक्षण मिले। चौथी मांग है, ओएसएफडीसी स्कीम के तहत सरकार के तरफ से दलितों को जो 70 करोड़ का कर्ज मिला है, वह माफ़ किया जाए।


क्या कह रही है सरकार...
भुवनेश्वर से बीजू जनता दल के विधायक प्रियदर्शी मिश्र का कहना है कि सरकार 'मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया' को चिट्ठी लिख रही है। अगर एमसीआई सीट बढ़ाती है तो राज्य सरकार मेडिकल कॉलेजों में 38.75 आरक्षण देने के लिए तैयार है। सीट की बढ़ोतरी बिना सरकार यह आरक्षण नहीं दे सकती क्योंकि ऐसे करने से मेरिट बच्चे एडमिशन लेने से वंचित हो जायेंगे।


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