नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी प्रकरण पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये ने अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भी 'सुलगा' दिया है। संघ ने जहां मोदी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं वहीं स्पष्ट शब्दों में यह भी इशारा किया है कि सिर्फ वही प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कई केंद्रीय नेता भी इस पद की योग्यता रखते हैं।
दरअसल, ये बातें 'पांचजन्य' के ताजा अंक में कही गई हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के ब्लॉग एवं पार्टी के मुखपत्र 'कमल संदेश' के जरिए पार्टी की मौजूदा स्थिति पर जताई गई चिता में आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने इजाफा कर दिया है।
'पांचजन्य' के ताजा अंक में 'भाजपा के सामने चुनौतियां' शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, "मोदी को अपनी कार्यशैली एवं संगठन क्षमता के बारे में पुनर्विचार करने की जरूरत है। मुम्बई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समय संजय जोशी प्रकरण में मोदी की भूमिका बहुत विचारणीय है।"
ज्ञात हो कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हाल ही में मुम्बई में सम्पन्न हुई। बैठक से ठीक पहले संघ के वरिष्ठ प्रचारक संजय जोशी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया। यह स्पष्ट था कि मोदी के दबाव में भाजपा ने जोशी से इस्तीफा देने के लिए कहा। जोशी के इस्तीफे के बाद ही मोदी कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए।
लेख में मोदी के इस व्यवहार की आलोचना की गई है। लेख के मुताबिक, "मोदी, जोशी के किस व्यवहार से नाराज हुए, इसकी जानकारी हमें नहीं है। हम केवल इतना जानते हैं कि मोदी और जोशी दोनों ही संघ के प्रचारक रहे हैं। संघ के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हुए भी मोदी अपने सहकर्मी प्रचारक जोशी के प्रति अपनी नाराजगी का समाधान क्यों नहीं कर पाए, यह एक पहेली बनी हुई है।"
लेख के मुताबिक, "कार्यकारिणी की बैठक से पहले मोदी ने जोशी के इस्तीफे को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया और ऐसा करते हुए उन्होंने संघ एवं भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार का अवसर दिया।"
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद आडवाणी ने अपने ब्लॉग के जरिए पार्टी की गतिविधियों पर अपना असंतोष प्रकट किया है। पार्टी के हाल के फैसलों पर सवाल उठाते हुए आडवाणी ने यहां तक कहा डाला कि जनता संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से नाराज तो है ही, वह भाजपा से भी खुश नहीं है।
इसके कुछ ही दिन बाद पार्टी के मुखपत्र कमल संदेश में मोदी के व्यवहार पर निशाना साधा गया।
मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि भाजपा में सिर्फ मोदी ही अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिनमें प्रधानमंत्री बनने की क्षमता है।
"भाजपा के अनेक कार्यकर्ताओं के मन में प्रधनमंत्री पद के लिए आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा का होना अस्वाभाविक नहीं है क्योंकि इसमें संदेह नहीं कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय नेतृत्व में कई ऐसे चेहरे हैं जिनमें प्रधानमंत्री पद के लिए क्षमता और योग्यता मौजूद है।"
इसमें आगे कहा गया है, "भाजपा का वर्तमान सांगठनिक ढांचा लोकतांत्रिक होने के कारण वर्तमान संवैधानिक संरचना का तकाजा है कि चुनाव परिणाम आने पर विजेता दल की संसदीय पार्टी अपना नेता चुने और वही प्रधानमंत्री पद का दावा प्रस्तुत करे।"
दरअसल, ऐसा कहके संघ ने मोदी को इशारों ही इशारों में बता दिया है कि वही एकमात्र प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं बल्कि पार्टी में ऐसे कई चेहरे हैं। साथ ही उन्हें यह नसीहत भी दी गई है कि उचित समय आने पर ही वह प्रधानमंत्री पद पर अपना दावा पेश करें।
दरअसल, ये बातें 'पांचजन्य' के ताजा अंक में कही गई हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के ब्लॉग एवं पार्टी के मुखपत्र 'कमल संदेश' के जरिए पार्टी की मौजूदा स्थिति पर जताई गई चिता में आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने इजाफा कर दिया है।
'पांचजन्य' के ताजा अंक में 'भाजपा के सामने चुनौतियां' शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, "मोदी को अपनी कार्यशैली एवं संगठन क्षमता के बारे में पुनर्विचार करने की जरूरत है। मुम्बई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समय संजय जोशी प्रकरण में मोदी की भूमिका बहुत विचारणीय है।"
ज्ञात हो कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हाल ही में मुम्बई में सम्पन्न हुई। बैठक से ठीक पहले संघ के वरिष्ठ प्रचारक संजय जोशी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया। यह स्पष्ट था कि मोदी के दबाव में भाजपा ने जोशी से इस्तीफा देने के लिए कहा। जोशी के इस्तीफे के बाद ही मोदी कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए।
लेख में मोदी के इस व्यवहार की आलोचना की गई है। लेख के मुताबिक, "मोदी, जोशी के किस व्यवहार से नाराज हुए, इसकी जानकारी हमें नहीं है। हम केवल इतना जानते हैं कि मोदी और जोशी दोनों ही संघ के प्रचारक रहे हैं। संघ के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हुए भी मोदी अपने सहकर्मी प्रचारक जोशी के प्रति अपनी नाराजगी का समाधान क्यों नहीं कर पाए, यह एक पहेली बनी हुई है।"
लेख के मुताबिक, "कार्यकारिणी की बैठक से पहले मोदी ने जोशी के इस्तीफे को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया और ऐसा करते हुए उन्होंने संघ एवं भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार का अवसर दिया।"
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद आडवाणी ने अपने ब्लॉग के जरिए पार्टी की गतिविधियों पर अपना असंतोष प्रकट किया है। पार्टी के हाल के फैसलों पर सवाल उठाते हुए आडवाणी ने यहां तक कहा डाला कि जनता संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से नाराज तो है ही, वह भाजपा से भी खुश नहीं है।
इसके कुछ ही दिन बाद पार्टी के मुखपत्र कमल संदेश में मोदी के व्यवहार पर निशाना साधा गया।
मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि भाजपा में सिर्फ मोदी ही अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिनमें प्रधानमंत्री बनने की क्षमता है।
"भाजपा के अनेक कार्यकर्ताओं के मन में प्रधनमंत्री पद के लिए आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा का होना अस्वाभाविक नहीं है क्योंकि इसमें संदेह नहीं कि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय नेतृत्व में कई ऐसे चेहरे हैं जिनमें प्रधानमंत्री पद के लिए क्षमता और योग्यता मौजूद है।"
इसमें आगे कहा गया है, "भाजपा का वर्तमान सांगठनिक ढांचा लोकतांत्रिक होने के कारण वर्तमान संवैधानिक संरचना का तकाजा है कि चुनाव परिणाम आने पर विजेता दल की संसदीय पार्टी अपना नेता चुने और वही प्रधानमंत्री पद का दावा प्रस्तुत करे।"
दरअसल, ऐसा कहके संघ ने मोदी को इशारों ही इशारों में बता दिया है कि वही एकमात्र प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं बल्कि पार्टी में ऐसे कई चेहरे हैं। साथ ही उन्हें यह नसीहत भी दी गई है कि उचित समय आने पर ही वह प्रधानमंत्री पद पर अपना दावा पेश करें।
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