मुंबई की लोकल ट्रेन (फाइल फोटो)
मुंबई:
डिजिटलाइजेशन का दौर है, ऐसे में रेलवे को भी पेपरलेस बनाने की प्रक्रिया चल रही है, इसी कड़ी में मुंबई की लाइफलाइन यानी वेस्टर्न लोकल भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बन गई है। इस रूट के मुसाफिर अब अपने मोबाइल फोन से ही रोज़ाना टिकट खरीद सकेंगे। फिलहाल मासिक पास और दूसरे रूटों के लिए ये सेवा चालू नहीं हुई है। आपकी पटरी से 30 मीटर पहले और स्टेशन के 2 किलोमीटर के दायरे में ही टिकट निकालने की इजाज़त मिलेगी।
बुधवार को दिल्ली की एक बैठक में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस योजना की शुरुआत की। इसरो के सहयोग से रेलवे ने पेपरलेस टिकटिंग सिस्टम शुरू कर दिया है। वेस्टर्न रेलवे के चीफ वाणिज्यिक प्रबंधक सीपी शर्मा ने कहा 'हमने इसरो के सहयोग से चर्चगेट से डहाणू तक मैपिंग की है, रेलवे ट्रैक से 30 मीटर पहले आपको टिकट निकालना होगा लेकिन 30 मीटर के बाद इस्तेमाल की जाने वाली ऐप से आप टिकट नहीं निकाल सकते। जीपीएस का दायरा स्टेशन से 2 किलोमीटर तक होगा, जिससे रोज़ाना सफर करने वाले यात्री फर्स्ट और सेकेंड क्लास की टिकट निकाल सकते हैं।'
पेपरलेस टिकट के लिए जो ऐप विकसित की गई है, वह प्लेटफॉर्म अथवा ट्रेन में काम नहीं करेगी, यानी अगर चेकिंग स्टाफ को देखकर आप टिकट निकालने की कोशिश करेंगे तो सफल नहीं होंगे। सेंट्रल और हार्बर के मुसाफिरों को भी इस ऐप के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा।
मोबाइल टिकटिंग योजना पहले से शुरू है, लेकिन पहले टिकट बुक करने के बाद एटीवीएम से प्रिंट लेना पड़ता था, जो मुसाफिरों को रास नहीं आया जबकि नई योजना में मोबाइल पर आया मैसेज ही अब आपका टिकट होगा।
बुधवार को दिल्ली की एक बैठक में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस योजना की शुरुआत की। इसरो के सहयोग से रेलवे ने पेपरलेस टिकटिंग सिस्टम शुरू कर दिया है। वेस्टर्न रेलवे के चीफ वाणिज्यिक प्रबंधक सीपी शर्मा ने कहा 'हमने इसरो के सहयोग से चर्चगेट से डहाणू तक मैपिंग की है, रेलवे ट्रैक से 30 मीटर पहले आपको टिकट निकालना होगा लेकिन 30 मीटर के बाद इस्तेमाल की जाने वाली ऐप से आप टिकट नहीं निकाल सकते। जीपीएस का दायरा स्टेशन से 2 किलोमीटर तक होगा, जिससे रोज़ाना सफर करने वाले यात्री फर्स्ट और सेकेंड क्लास की टिकट निकाल सकते हैं।'
पेपरलेस टिकट के लिए जो ऐप विकसित की गई है, वह प्लेटफॉर्म अथवा ट्रेन में काम नहीं करेगी, यानी अगर चेकिंग स्टाफ को देखकर आप टिकट निकालने की कोशिश करेंगे तो सफल नहीं होंगे। सेंट्रल और हार्बर के मुसाफिरों को भी इस ऐप के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा।
मोबाइल टिकटिंग योजना पहले से शुरू है, लेकिन पहले टिकट बुक करने के बाद एटीवीएम से प्रिंट लेना पड़ता था, जो मुसाफिरों को रास नहीं आया जबकि नई योजना में मोबाइल पर आया मैसेज ही अब आपका टिकट होगा।
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