कुख्यात नक्सली प्रशांत बोस और उसकी पत्नी शीला मरांडी गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजे गए

सत्तर से अधिक बड़े नक्सली हमलों में शामिल और करीब 50 साल से सक्रिय प्रशांत बोस पर था एक करोड़ का इनाम

रांची:

झारखंड पुलिस द्वारा शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए 70 से अधिक बड़े नक्सली हमलों में शामिल शीर्ष नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उसकी पत्नी एवं नक्सली कमांडर शीला मरांडी एवं उनके चार अन्य नक्सली साथियों को रविवार को सराइकेला की एक अदालत ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. प्रशांत बोस पर एक करोड़ रुपये का इनाम था और वह माओवादियों की केन्द्रीय समिति का सदस्य है. झारखंड के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा ने रविवार को यहां बताया कि एक करोड़ रुपये के इनामी पचास वर्ष से अधिक समय से सक्रिय प्रशांत बोस, उसकी पत्नी शीला मरांडी समेत छह शीर्ष माओवादियों को रविवार को चिकित्सिकीय जांच के बाद सरायकेला की स्थानीय अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि पुलिस अब जल्दी ही सभी माओवादी कमांडरों को हिरासत पर लेकर उनसे विस्तृत पूछताछ करेगी जिससे उनसे महत्वपूर्ण राज उगलवाये जा सकें. स्थानीय अदालत में जिन नक्सलियों को पेश किया उनमें प्रशांस बोस, उसकी पत्नी शीला मरांडी, वीरेंद्र हांसदा, राजू टुडू, कृष्णा बाहदा एवं गुरुचरण बोदरा शामिल हैं.

शुक्रवार को पुलिस सूत्रों ने बताया था कि सरायकेला से प्रशांत बोस उर्फ किशन दा को उसकी पत्नी शीला मरांडी के साथ बीती रात पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर धर दबोचा था. पुलिस सूत्रों ने बताया था कि माओवादियों के पूर्वी क्षेत्र के ब्यूरो के सचिव एवं माओवादियों की केंद्रीय समिति के सदस्य किशन दा अपनी पत्नी एवं चार अन्य नक्सलियों के साथ गुप्त अड्डे पर माओवादियों की बैठक के लिए जा रहे थे जिसकी सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों ने उसे रास्ते से ही एक सफेद स्कार्पियो गाड़ी से धर दबोचा. उनके पास से पुलिस ने चार मोबाइल, दो एसएसडी, पेन ड्राइव तथा एक लाख, 51 हजार रुपये नकद बरामद किए थे.

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि बुजुर्ग प्रशांत बोस 1960 में माओवादियों के साथ हो गया था और पहली बार उसे 1974 में गिरफ्तार किया गया था. उस पर सत्तर से अधिक माओवादी कांडों के आरोप हैं और पुलिस को उसकी वर्षों से तलाश थी. सुरक्षाबलों ने प्रशांत बोस की गिरफ्तारी पर एक करोड़ का इनाम घोषित कर रखा था उसकी गिरफ्तारी पुलिस की बड़ी सफलता मानी जा रही है. उन्होंने बताया कि उसकी पत्नी शीला मरांडी भी 1980 से ही माओवादियों की सक्रिय कमांडर रही है और अनेक बार सुरक्षा बलों पर हमला करने में नक्सलियों को नेतृत्व किया है. इन घटनाओं में अनेक सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे.

समझा जाता है कि प्रशांत बोस उर्फ किशन, उसकी पत्नी और चार अन्य नक्सलियों की गिरफ्तारी से नक्सलियों को बडा झटका लगा है. प्रशांत बोस हुलिया बदलने में माहिर है. इस कारण वह वर्षों से पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ रहा था. कोल्हान के चाईबासा जिले में बलिवां और सारंडा में हुए पुलिस जवानों की हत्या मामले का मास्टर माइंड प्रशांत बोस ही था.

पुलिस ने बताया कि प्रशांत बोस झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भाकपा (माओवादी) की गुरिल्ला आर्मी की कमान संभालता था. इन राज्यों के नक्सली नेताओं का आना-जाना और मिलना-जुलना प्रशांत बोस से था. 2004 से पहले प्रशांत बोस एमसीआईआई का प्रमुख था. उसकी पत्नी शीला मरांडी माओवादी संगठन की शीर्ष सेंट्रल कमेटी की सदस्य है. साथ ही वह नारी संघ की प्रमुख है. प्रशांत बोस अपने प्रभाव वाले क्षेत्र के कैंडरों को एक राज्य से दूसरे राज्य प्रशिक्षण के लिए भेजता था.

प्रशांत बोस ने ही 2004 भाकपा (माओवादी) संगठन को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उसने पीपुल्स वार ग्रुप और एमसीसीआई यानी माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर आफ इंडिया का विलय कराया था. इसके बाद भाकपा (माओवादी)अस्तित्व में आया था.

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एक सवाल के जवाब में पुलिस महानिदेशक ने दावा किया कि न सिर्फ झारखंड पुलिस बल्कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल एवं नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जुटी सभी एजेंसियों के लिए किशन दा और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी अब तक की नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ी सफलता है.



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