देश में नोटबंदी का असर, एटीएम और बैंक के बाहर लगी लोगों की लाइनें...
नई दिल्ली:
पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 8 नवंबर को बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि आधी रात से 500 और 1000 रुपये के जो नोट चल रहे हैं, वे बंद हो जाएंगे. कालाधन और नोटबंदी से जुड़े अन्य पहलुओं पर गौर करने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया, लेकिन सरकार की तैयारी नाकाफी से साबित हो रही है. घोषणा के 15 दिन बाद आज भी लोगों को अपने पैसे और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नकदी की समस्या हो रही है. लोग सुबह से ही बैंक और एटीएम की लाइनों में लग जाते हैं ताकि उन्हें 2000 रुपये मिल सकें जिससे वह अपने और अपने परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकें.
जहां देश के आम नागरिक इस नोटबंदी से परेशान हैं वहीं, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी इसी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. ऐसे में कर्मचारियों की शिकायत है कि उनका काम भी प्रभावित हो रहा है. सातवें वेतन आयोग में कथित अनियमितताओं से लड़ने के लिए बने केंद्रीय कर्मचारियों के संयुक्त संघ एनसीजेसीएम ने सरकार सेमांग की है कि केंद्रीय कर्मचारियों को नंवबर और दिसंबर का वेतन नकद दिया जाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में एनसीजेसीएम की ओर से कहा गया है कि केंद्रीय कर्मचारियों को नंवबर और दिसंबर का वेतन कैश में दिया जाए. 21 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में एनसीजेसीएम के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि देश के हालात को देखते हुए पीएम मोदी और कैबिनेट सचिव को चिट्ठी लिखकर यह मांग की गई है.
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अपनी चिट्ठी में संघ ने मांग की है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी (औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम करने वालों सहित) को सरकार बैंकों में सैलरी ट्रांसफर वेतन दिया करती थी. यह प्रथा 1.4.12 से शुरू हुई. कर्मचारी संघ का आरोप है कि सरकार के 500-1000 के नोट पर प्रतिबंध से देश के बैंकों और एटीएम पर अप्रत्याशित स्थिति बन गई है.
संघ ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि कर्मचारियों को अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए महीने के पहले सप्ताह में कैश की जरूरत होती है. संघ ने कहा कि महीना खत्म होने वाला है और कर्मचारियों को नकदी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की कतारें लगी हैं.
चिट्ठी में कहा गया है कि इसी वजह से संघ यह मांग करता है कि सरकार जल्द से जल्द जरूरी आदेश जारी करे ताकि कर्मचारियों को नकद वेतन दिया जा सके. इस चिट्ठी में यह भी मांग की गई है कि सरकार छोटे नोटों ने वेतन देने की व्यवस्था करे.
जहां देश के आम नागरिक इस नोटबंदी से परेशान हैं वहीं, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी इसी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. ऐसे में कर्मचारियों की शिकायत है कि उनका काम भी प्रभावित हो रहा है. सातवें वेतन आयोग में कथित अनियमितताओं से लड़ने के लिए बने केंद्रीय कर्मचारियों के संयुक्त संघ एनसीजेसीएम ने सरकार सेमांग की है कि केंद्रीय कर्मचारियों को नंवबर और दिसंबर का वेतन नकद दिया जाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में एनसीजेसीएम की ओर से कहा गया है कि केंद्रीय कर्मचारियों को नंवबर और दिसंबर का वेतन कैश में दिया जाए. 21 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में एनसीजेसीएम के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि देश के हालात को देखते हुए पीएम मोदी और कैबिनेट सचिव को चिट्ठी लिखकर यह मांग की गई है.
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अपनी चिट्ठी में संघ ने मांग की है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी (औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम करने वालों सहित) को सरकार बैंकों में सैलरी ट्रांसफर वेतन दिया करती थी. यह प्रथा 1.4.12 से शुरू हुई. कर्मचारी संघ का आरोप है कि सरकार के 500-1000 के नोट पर प्रतिबंध से देश के बैंकों और एटीएम पर अप्रत्याशित स्थिति बन गई है.
संघ ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि कर्मचारियों को अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए महीने के पहले सप्ताह में कैश की जरूरत होती है. संघ ने कहा कि महीना खत्म होने वाला है और कर्मचारियों को नकदी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की कतारें लगी हैं.
चिट्ठी में कहा गया है कि इसी वजह से संघ यह मांग करता है कि सरकार जल्द से जल्द जरूरी आदेश जारी करे ताकि कर्मचारियों को नकद वेतन दिया जा सके. इस चिट्ठी में यह भी मांग की गई है कि सरकार छोटे नोटों ने वेतन देने की व्यवस्था करे.
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