भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस पर न्यायेतर हत्याओं तथा फर्जी मुठभेड़ किए जाने के आरोपों से संबंधित मामलों में सीबीआई की एसआईटी जांच की प्रगति से संतुष्ट नहीं है. शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उसे अवगत कराया कि इस तरह के अब तक 42 मामले दर्ज किए गए हैं.
न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति यू. यू ललित की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी निर्देश दिया कि वह 42 मामलों में से 17 में जांच में एसआईटी की मदद करने के लिए तीन लोगों की नियुक्ति करे. पीठ ने कहा, ‘‘हम एसआईटी द्वारा की गई प्रगति से संतुष्ट नहीं हैं.’’ पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एसआईटी द्वारा दायर रिपोर्ट की सीबीआई के निदेशक की मंजूरी नहीं ली गई है. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि एसआईटी की अगली स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई प्रमुख की मंजूरी होनी चाहिए.
कोर्ट ने सीबीआई से ये भी कहा कि जो एफआईआर दर्ज की गईं उनसे तो यही लगता है कि ये पीड़ितों के ही खिलाफ है. कोर्ट ने फटकार लगाने के बाद ये भी कहा कि हम चाहते हैं कि जांच तेज़ी से हो और कार्रवाई भी फटाफट. सीबीआई ने भरोसा जताया कि वो इस दिशा में काम कर रही है और जल्दी ही आरोपी उसकी पकड़ में होंगे. कोर्ट ने कहा कि आपकी दलीलें संतोषजनक नहीं हैं. आप काउंटर एफआईआर भी दर्ज करें. इस पर सीबीआई ने कहा कि बिना शिकायतकर्ता के कैसे काउंटर एफआईआर दर्ज होगी. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम हैं ना शिकायतकर्ता. हम चाहते हैं कि सीबीआई सच की तह तक पहुंचे. इसलिये आपको जांच सौंपी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने NHRC को कहा कि अपने तीन सदस्यों को SIT के टीम के पास भेजें जो 17 कथित फर्जी एनकाउंटर में साथ काम करेंगे. सीबीआई की SIT ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ में 42 मामले दर्ज किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई कि इस मामले में जांच सुचारू रूप से नहीं चल रही है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उन पीड़ितों के खिलाफ भी FIR दर्ज कर ली गई है जिनको एनकाउंटर में मारा गया था. 12 मार्च को अगली सुनवाई होगी.
VIDEO: CRPF के आईजी ने असम में सुरक्षा बलों की ओर से फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया
न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मणिपुर में न्यायेतर हत्याओं के 1,528 मामले बताए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 जुलाई को सीबीआई के पांच अधिकारियों की एसआईटी गठित की थी और मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं के संदर्भ में प्राथमिकी दर्ज करने तथा जांच शुरू करने का आदेश दिया था.
न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति यू. यू ललित की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी निर्देश दिया कि वह 42 मामलों में से 17 में जांच में एसआईटी की मदद करने के लिए तीन लोगों की नियुक्ति करे. पीठ ने कहा, ‘‘हम एसआईटी द्वारा की गई प्रगति से संतुष्ट नहीं हैं.’’ पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एसआईटी द्वारा दायर रिपोर्ट की सीबीआई के निदेशक की मंजूरी नहीं ली गई है. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि एसआईटी की अगली स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई प्रमुख की मंजूरी होनी चाहिए.
कोर्ट ने सीबीआई से ये भी कहा कि जो एफआईआर दर्ज की गईं उनसे तो यही लगता है कि ये पीड़ितों के ही खिलाफ है. कोर्ट ने फटकार लगाने के बाद ये भी कहा कि हम चाहते हैं कि जांच तेज़ी से हो और कार्रवाई भी फटाफट. सीबीआई ने भरोसा जताया कि वो इस दिशा में काम कर रही है और जल्दी ही आरोपी उसकी पकड़ में होंगे. कोर्ट ने कहा कि आपकी दलीलें संतोषजनक नहीं हैं. आप काउंटर एफआईआर भी दर्ज करें. इस पर सीबीआई ने कहा कि बिना शिकायतकर्ता के कैसे काउंटर एफआईआर दर्ज होगी. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम हैं ना शिकायतकर्ता. हम चाहते हैं कि सीबीआई सच की तह तक पहुंचे. इसलिये आपको जांच सौंपी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने NHRC को कहा कि अपने तीन सदस्यों को SIT के टीम के पास भेजें जो 17 कथित फर्जी एनकाउंटर में साथ काम करेंगे. सीबीआई की SIT ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ में 42 मामले दर्ज किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई कि इस मामले में जांच सुचारू रूप से नहीं चल रही है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उन पीड़ितों के खिलाफ भी FIR दर्ज कर ली गई है जिनको एनकाउंटर में मारा गया था. 12 मार्च को अगली सुनवाई होगी.
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न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मणिपुर में न्यायेतर हत्याओं के 1,528 मामले बताए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 जुलाई को सीबीआई के पांच अधिकारियों की एसआईटी गठित की थी और मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं के संदर्भ में प्राथमिकी दर्ज करने तथा जांच शुरू करने का आदेश दिया था.
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