वसुंधरा राजे की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी की मदद करने के आरोपों में घिरी राजस्थान की मुख़्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया इकलौती वीआईपी नहीं हैं, जिन्होंने मोदी की मदद करने की कोशिश की।
एनडीटीवी को कानूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ललित मोदी को लिखित रूप से मदद करने वालों में कई और वीआईपी के नाम शामिल हैं।
इस मामले से जुड़े वकीलों के अनुसार अन्य वीआईपी जिन्होंने ललित मोदी की मदद की उनके नाम ब्रिटेन के अपर ट्रिब्यूनल द्वारा समर्थित साल 2013 में दिए गए लोअर कोर्ट के एक कोर्ट ऑर्डर में दर्ज है।
लोअर कोर्ट ने ये ऑर्डर तब दिया था जब ललित मोदी ने भारत में अपनी जान को ख़तरा होने की बात कोर्ट में रखी थी।
क्रेडिबल विटनेस
अपर ट्रिब्यूनल या इमिग्रेशन एंड असायलम चेंबर ने लोअर कोर्ट के ऑर्डर में दर्ज किए ज्य़ादा क्रेडिबल विटनेस यानि प्रमाणिक गवाहों की बात कही है, जिसका ख़ुलासा होने पर ये विवाद और ज़्यादा बढ़ सकता है।
एनडीटीवी के पास साल 2013 के इस कोर्ट ऑर्डर के दस्तावेज़ मौजूद हैं, जिसमें लिखा है, 'याचिकाकर्ता की ज़िंदगी पर जिस तरह का ख़तरा है और उनके देश में उपजी राजनैतिक परिस्थितियों के कारण उन्हें क्यों सुरक्षा नहीं मिल रही है, वो सारी बातें कई विश्वसनीय गवाहों द्वारा सत्यापित किया गया है।'
ये गवाह़ भारत के हाई-प्रोफाईल लोगों में शुमार किए जाते हैं, जिनमें वसुंधरा राजे भी शामिल हैं। इन लोगों ने साल 2011 में अपना नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर दस्तावेज़ पर दस्तख़त किए थे।
इस लिस्ट में कई उद्योगपति, मीडिया से जुड़े लोग और नेता शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो कई और नामों का जल्द ख़ुलासा हो सकता है।
आईपीएल में दाग़ी
ललित मोदी साल 2011 में उस वक्त़ ब्रिटेन चले गए थे जब उन पर आईपीएल घोटाले का आरोप लगा था। साल 2011 में भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया था और मोदी ने अपनी जान को ख़तरा होने का हवाला देते हुए भारत लौटने से इनकार कर दिया था।
अगस्त 2011 में ललित मोदी ने ब्रिटेन के एक लोअर कोर्ट में इमिग्रेशन के लिए अप्लाई किया था, जिसमें तब राजस्थान में विपक्ष की नेता रहीं वसुंधरा राजे ने मोदी के समर्थन में गवाही दी थी।
हालांकि, राजे ने कहीं भी ललित मोदी को भारत में किसी भी तरह का ख़तरा होने का ज़िक्र नहीं किया था, लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा था कि ललित मोदी भारत में विपक्षी कांग्रेसी पार्टी के निशाने पर हैं, जो उन्हें लगातार परेशान करने में लगी है।
एनडीटीवी को कानूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ललित मोदी को लिखित रूप से मदद करने वालों में कई और वीआईपी के नाम शामिल हैं।
इस मामले से जुड़े वकीलों के अनुसार अन्य वीआईपी जिन्होंने ललित मोदी की मदद की उनके नाम ब्रिटेन के अपर ट्रिब्यूनल द्वारा समर्थित साल 2013 में दिए गए लोअर कोर्ट के एक कोर्ट ऑर्डर में दर्ज है।
लोअर कोर्ट ने ये ऑर्डर तब दिया था जब ललित मोदी ने भारत में अपनी जान को ख़तरा होने की बात कोर्ट में रखी थी।
क्रेडिबल विटनेस
अपर ट्रिब्यूनल या इमिग्रेशन एंड असायलम चेंबर ने लोअर कोर्ट के ऑर्डर में दर्ज किए ज्य़ादा क्रेडिबल विटनेस यानि प्रमाणिक गवाहों की बात कही है, जिसका ख़ुलासा होने पर ये विवाद और ज़्यादा बढ़ सकता है।
एनडीटीवी के पास साल 2013 के इस कोर्ट ऑर्डर के दस्तावेज़ मौजूद हैं, जिसमें लिखा है, 'याचिकाकर्ता की ज़िंदगी पर जिस तरह का ख़तरा है और उनके देश में उपजी राजनैतिक परिस्थितियों के कारण उन्हें क्यों सुरक्षा नहीं मिल रही है, वो सारी बातें कई विश्वसनीय गवाहों द्वारा सत्यापित किया गया है।'
ये गवाह़ भारत के हाई-प्रोफाईल लोगों में शुमार किए जाते हैं, जिनमें वसुंधरा राजे भी शामिल हैं। इन लोगों ने साल 2011 में अपना नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर दस्तावेज़ पर दस्तख़त किए थे।
इस लिस्ट में कई उद्योगपति, मीडिया से जुड़े लोग और नेता शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो कई और नामों का जल्द ख़ुलासा हो सकता है।
आईपीएल में दाग़ी
ललित मोदी साल 2011 में उस वक्त़ ब्रिटेन चले गए थे जब उन पर आईपीएल घोटाले का आरोप लगा था। साल 2011 में भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया था और मोदी ने अपनी जान को ख़तरा होने का हवाला देते हुए भारत लौटने से इनकार कर दिया था।
अगस्त 2011 में ललित मोदी ने ब्रिटेन के एक लोअर कोर्ट में इमिग्रेशन के लिए अप्लाई किया था, जिसमें तब राजस्थान में विपक्ष की नेता रहीं वसुंधरा राजे ने मोदी के समर्थन में गवाही दी थी।
हालांकि, राजे ने कहीं भी ललित मोदी को भारत में किसी भी तरह का ख़तरा होने का ज़िक्र नहीं किया था, लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा था कि ललित मोदी भारत में विपक्षी कांग्रेसी पार्टी के निशाने पर हैं, जो उन्हें लगातार परेशान करने में लगी है।
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