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This Article is From Mar 29, 2017

शिवसेना के समर्थन के बावजूद आरएसएस प्रमुख भागवत बोले - मैं राष्ट्रपति पद की दौड़ में नहीं

शिवसेना के समर्थन के बावजूद आरएसएस प्रमुख भागवत बोले - मैं राष्ट्रपति पद की दौड़ में नहीं
शिवसेना ने कहा था आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रपति पद के लिए अच्छी पसंद होंगे...
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि वो राष्ट्रपति पद की दौड़ में नहीं हैं. बुधवार की सुबह भागवत ने नागपुर में कहा, "मैं राष्ट्रपति पद की दौड़ में नहीं हूं." बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने इस सप्ताह कहा था भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रपति पद के लिए अच्छी पसंद होंगे.

उन्होंने कहा था, "यह देश में शीषर्तम पद है. बेदाग छवि वाले किसी व्यक्ति को इस पर आसीन होना चाहिए. हमने सुना है कि राष्ट्रपति पद के लिए भागवत के नाम पर विचार चल रहा है." उन्होंने कहा, "यदि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है तो भागवत राष्ट्रपति के पद के लिए अच्छी पसंद होंगे. लेकिन (उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने का) फैसला उद्धवजी द्वारा किया जाएगा." 

उधर, लोकसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि वह राष्ट्रपति पद के लिए किसी ऐसे उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगी जो आरएसएस विचारधारा से जुड़े हों. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव गोगोई ने बुधवार को संसद भवन में नियमित संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट कहा कि इस मामले में पार्टी उचित समय पर अपने बीच विचार-विमर्श कर निर्णय करेगी.

उनसे सवाल किया गया कि शिवसेना ने संघ प्रमुख भागवत को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने पर समर्थन देने की बात कही है, इस पर कांग्रेस का क्या मानना है. गोगोई ने कहा, "शिवसेना की राय पर हम कुछ कहना नहीं चाहेंगे. इस बारे में हम अपने बीच विचार-विमर्श करेंगे और जो भी फैसला होगा, उसे सही समय पर हम आपको अवगत कराएंगे." उल्लेखनीय है कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनाया जाए तो वह अच्छी पसंद होंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस किसी आम सहमति वाले उम्मीदवार को खड़ा करने का प्रयास करेगी या किसी ऐसे उम्मीदवार का समर्थन करेगी तो उन्होंने कहा, "हम आरएसएस की विचारधारा का समर्थन नहीं करते, यह बहुत स्पष्ट है. इस मामले में पार्टी उचित समय पर आतंरिक विचार विमर्श कर निर्णय करेगी."

गौरतलब है कि वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के पास राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाना अब अपेक्षाकृत आसान हो गया है.

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