प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केरल में डीजल वाहनों पर लगी रोक को देश के अन्य शहरों तक बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।
उसने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि फिलहाल वह इस तरह के प्रतिबंध के विस्तार की कोई योजना नहीं बना रहा है और पहले वह विभिन्न राज्यों से अनेक शहरों के प्रदूषण के स्तर पर मिले आंकड़ों का अध्ययन करेगा।
एनजीटी ने सभी राज्यों के संबंधित सचिवों को तीन सप्ताह के अंदर एक हलफनामा भी दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें उनके क्षेत्र के दो सबसे प्रदूषित शहर, कुल जनसंख्या और प्रत्येक जिले में वाहनों की सघनता बताने को कहा गया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी वाहन पर रोक नहीं लगा रहे। हमने राज्य सरकारों से अनेक शहरों में प्रदूषण के स्तर पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है। आंकड़े आ जाएं फिर हम विभिन्न पक्षों को सुनेंगे और उसके अनुसार फैसला करेंगे।’’ इससे पहले भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने पीठ से कहा कि 2000 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले वाहनों के पंजीकरण पर प्रतिबंध को अन्य शहरों में नहीं बढ़ाया जाए।
एएसजी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत आठ प्रतिशत एफडीआई ऑटोमोबाइल क्षेत्र से आई है और यह क्षेत्र रोजगार के अवसर पैदा करता है। इस पर किसी तरह की पाबंदी का इसके विकास की रफ्तार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स की ओर से वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने दूसरे महानगरों में डीजल वाहनों पर पाबंदी लगाने के विचार का विरोध करते हुए कहा कि डीजल प्रदूषण का एकमात्र स्रोत नहीं है।
सिंघवी ने कहा, ‘‘डीजल वाहनों के अलावा प्रदूषण के अन्य स्रोत भी हैं।’’इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम पहले ही कह चुके हैं कि किसी भी मामले में प्रदूषण के तीन प्रमुख स्रोत हैं जिनमें कचरा और अन्य सामग्री जलाना, दूसरे स्रोत में रेत निकलना और वाहनों का प्रदूषण है।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
उसने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि फिलहाल वह इस तरह के प्रतिबंध के विस्तार की कोई योजना नहीं बना रहा है और पहले वह विभिन्न राज्यों से अनेक शहरों के प्रदूषण के स्तर पर मिले आंकड़ों का अध्ययन करेगा।
एनजीटी ने सभी राज्यों के संबंधित सचिवों को तीन सप्ताह के अंदर एक हलफनामा भी दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें उनके क्षेत्र के दो सबसे प्रदूषित शहर, कुल जनसंख्या और प्रत्येक जिले में वाहनों की सघनता बताने को कहा गया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी वाहन पर रोक नहीं लगा रहे। हमने राज्य सरकारों से अनेक शहरों में प्रदूषण के स्तर पर रिपोर्ट जमा करने को कहा है। आंकड़े आ जाएं फिर हम विभिन्न पक्षों को सुनेंगे और उसके अनुसार फैसला करेंगे।’’ इससे पहले भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने पीठ से कहा कि 2000 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले वाहनों के पंजीकरण पर प्रतिबंध को अन्य शहरों में नहीं बढ़ाया जाए।
एएसजी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत आठ प्रतिशत एफडीआई ऑटोमोबाइल क्षेत्र से आई है और यह क्षेत्र रोजगार के अवसर पैदा करता है। इस पर किसी तरह की पाबंदी का इसके विकास की रफ्तार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स की ओर से वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने दूसरे महानगरों में डीजल वाहनों पर पाबंदी लगाने के विचार का विरोध करते हुए कहा कि डीजल प्रदूषण का एकमात्र स्रोत नहीं है।
सिंघवी ने कहा, ‘‘डीजल वाहनों के अलावा प्रदूषण के अन्य स्रोत भी हैं।’’इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम पहले ही कह चुके हैं कि किसी भी मामले में प्रदूषण के तीन प्रमुख स्रोत हैं जिनमें कचरा और अन्य सामग्री जलाना, दूसरे स्रोत में रेत निकलना और वाहनों का प्रदूषण है।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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