दुनिया के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize For Economics) से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijeet Banerjee) और उनकी पत्नी एस्थर डुफलो (Esther Duflo) ने NDTV के डॉक्टर प्रणय रॉय (Dr Prannoy Roy) से बातचीत में अर्थव्यवस्था, नागरिकता कानून समेत कई मुद्दों पर चर्चा की. अभिजीत ने देश की अर्थव्यवस्था के बारे में कहा, 'मुझे लगता है कि एक बात जो मुझे महसूस होती है कि पारंपरिक अर्थशास्त्र ने इस बात पर जोर देने के लिए अच्छा विचार किया था कि इससे पहले कि आप किसी की तर्कसंगतता पर सवाल करें, सोचें कि वे कैसे सोचते हैं.'
अभिजीत बनर्जी ने कहा, 'अर्थव्यवस्था कुछ इस तरह से है जैसे टॉयलेट चोक हो चुकी है, इससे बदबू आ रही है. आप इसको लेकर क्या करेंगे. प्लम्बर को बुलाने से पहले कुछ चीजें हैं जो आप कर सकते हैं. आप इन्हें ट्राय कर सकते हैं. दार्शनिक नजरिए से सोचने के बजाय आप इसे क्रमबद्ध तरीके से हल कर सकते हैं.' उन्होंने कम कीमत के लोन पर कहा, 'लोग छोटे लोन लेते हैं. वो फ्रिज खरीदते हैं. वो अच्छा खाते हैं या टीवी देखते हैं. वो अमीर नहीं हो रहे हैं, तो औसतन 90 फीसदी लोग जिन्हें लोन मिला था, आप ठीक-ठीक कह सकते हैं कि उनकी कमाई से कुछ नहीं हुआ.'
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अभिजीत बनर्जी ने नागरिकता कानून (CAA) के बारे में कहा, 'मुझे लगता है, वहां सभी तरह के मुद्दे हैं. मुझे एक बात कहनी है जो मुझे मेरे फील्ड पर किए गए काम के अनुभव के आधार पर चिंतित करती है, और वो ये है कि जब किसी के पास अपार शक्ति होती है, तो वो व्यक्ति ये तय कर सकता है कि आप इस सूची या उस सूची में होंगे या नहीं, इसलिए अगर वो कह दें कि मुझे यकीन नहीं है कि आप एक सही नागरिक हैं और धर्म के बारे में भूल जाओ तो आप चिंतित हो सकते हैं.'
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उन्होंने आगे कहा, 'अगर मैं किसी सीमावर्ती जिले में रहता हूं, तो मैं उस विचार से भयभीत हो जाऊंगा और अगर मैं होता भी, तो आप सिर्फ इस तथ्य को जानते हैं कि कोई व्यक्ति आएगा और कहेगा कि मैं इस सूची को बनाने का प्रभारी हूं, मैं आपके नाम के आगे 'संदिग्ध' लगा सकता हूं. मेरा मतलब है आखिर यह एक सीमावर्ती जिला है और शायद आप मुझे दस हजार रुपये का भुगतान कर सकते हैं. मेरा मानना है कि वहां शासन की चुनौती बहुत महत्वपूर्ण है.'
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एस्थर डुफलो ने भारत के बारे में कहा, 'हमने लगभग 80 देशों में अध्ययन किया है, लेकिन भारत वो जगह है जहां हमने सबसे ज्यादा अध्ययन किए हैं. वहां हमारा ऑफिस सबसे बड़ा है, इसलिए हमारे पास लगभग 200 स्थायी कर्मचारी हैं. किसी भी समय क्षेत्र में एक हजार लोग डेटा कलेक्ट कर रहे हैं.' पंचायतों के मुखिया के रूप में महिलाओं के प्रभाव पर उन्होंने कहा, 'मैंने राघवेंद्र चट्टोपाध्याय के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम किया था, जिसमें हमने देखा था कि किसी महिला के पंचायत का मुखिया होने पर क्या प्रभाव होते हैं. हमारे फील्ड अफसर के साथ हमारी बहस भी हुई. उन्होंने कहा कि आप अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं. ये महिलाएं सिर्फ अपने पति की कठपुतली हैं. वे बात नहीं कर रही हैं. वे कुछ नहीं कर रही हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ सकता.'
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