CAA In Bihar's Arrah: सरकार. इस शब्द के मायने क्या होते हैं कोई सुमित्रा और उनके घरवालों से पूछे. सरकार का एक फैसला कैसे लोगों की जिंदगी को बदल सकता है यह अब बिहार में देखने को मिला. संसद से सड़क तक विपक्ष और अन्य संगठनों के तीखे विरोध के बाद भी मोदी सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लेकर आई. मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां फैलाई गईं. मगर, आज इसका असर दिख रहा है.
बिहार में पहला मामला
आरा की सुमित्रा प्रसाद उर्फ रानी साहा को 40 साल के बाद नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता मिली है. वह शहर के चित्र टोली रोड में वीजा लेकर रह रही थीं, लेकिन अब उनको भारतीय नागरिकता मिल चुकी है. बिहार में CAA के तहत पहली नागरिकता मिली है. सुमित्रा की सबसे छोटी बेटी ऐश्वर्या प्रसाद ने नवंबर 2024 में CAA के तहत आवेदन किया था. दो महीने के अंदर ही बेटी की कोशिश के बाद मां को भारत की नागरिकता मिल गई. अब परिवार में खुशी का माहौल है.
सुमित्रा की कहानी
सुमित्रा प्रसाद से जब नागरिकता मिलने पर पूछा गया तो बोलीं, "बहुत खुश हूं. 40 साल से बांग्लादेश के नागरिक बनकर रह रहे थे. वीजा बढ़ाकर रह रहे थे. बहुत दिक्कत आई. हमेशा बेटी को कहा जाता था थाने में बुलाकर कि अपनी मां को बांग्लादेश छोड़ आइए. ये भारत में कहीं भी नहीं रह सकतीं. रात-दिन कभी भी पुलिस का फोन आ जाता था. हम लोग बहुत दुख के दिन बिताए हैं. घर के लोग भी ताना मारते थे. कोई भी झगड़ा होता था तो कहा जाता था कि तुमको बांग्लादेश भेज देंगे. तुमको यहां नहीं रहने देंगे."
बेटी ने मदद की
ऐश्वर्या प्रसाद ने बताया कि उनकी मां को 40 साल बाद नागरिकता मिली है. सीएए आने के बाद नवंबर में ही अप्लाई किया था. आगे कहा, "काफी समय से इस काम में लगे हुए थे. काफी ताने सुनने पड़ते थे. कभी भी पुलिस का कॉल आ जाता था. जॉब छोड़कर जाना पड़ता था. बहुत दिक्कत होती थी. किसी भी टाइम पर ये कागज लेकर आओ, वो कागज लेकर आओ कहकर थाने बुला लिया जाता था. 1 जनवरी को दोपहर डेढ़ बजे कॉल आया कि आपकी मां को नागरिकता मिल गई है. सीएए की साइट पर जाकर अप्लाई किया था और डेढ़ महीने के बाद नागरिकता मिल जाती है. अगर सभी कागजात सही हों तो."
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