खास बातें
- जद(यू) के भाजपा से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना बहुमत साबित करने के लिए बुधवार को बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत हासिल करने का प्रयास करेंगे।
पटना: जद(यू) के भाजपा से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना बहुमत साबित करने के लिए बुधवार को बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत हासिल करने का प्रयास करेंगे। कांग्रेस के मत विभाजन में भाग नहीं लेने के फैसले के बीच मुख्यमंत्री को उम्मीद है कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन से वह आसानी से विश्वासमत हासिल कर लेंगे।
सदन के नेता के रूप में कुमार विश्वासमत हासिल करने के लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। इसके बाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी और जरूरत हुई तो मत विभाजन कराया जाएगा।
17 साल बाद गठबंधन की सहयोगी भाजपा से अलग हो जाने के बाद भी विधायकों की संख्या को देखते हुए नीतीश कुमार सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है।
243 सदस्यीय विधानसभा में जद(यू) के विधानसभाध्यक्ष सहित 118 सदस्य हैं जबकि भाजपा के 91, राजद के 22, कांग्रेस के चार और लोजपा तथा भाकपा के एक-एक सदस्य हैं वहीं छह विधायक निर्दलीय हैं।
जद(यू) को बहुमत साबित करने की खातिर जरूरी 122 का आंकड़ा प्राप्त करने के लिए महज चार विधायकों की जरूरत है। पार्टी को पहले ही चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त हो गया है। चारों विधायक जद(यू) की एक बैठक में मौजूद थे। बैठक में पार्टी अध्यक्ष शरद यादव भी मौजूद थे।
इसके अलावा कांग्रेस ने मत विभाजन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। इससे जद(यू) की राह और आसान हो गई हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा, ‘हालांकि हमें केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश की प्रतीक्षा है, हम चार विधायक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि हम मतविभाजन में शामिल नहीं होंगे।’