नितिन गडकरी ने इस फैसले के बाद सभी राजनीतिक पार्टियों को धन्यवाद दिया है
नई दिल्ली:
पिछले 18 महीनों से सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, नेताओं की गाड़ियों पर लगने वाली लाल बत्ती को हटाने के प्रस्ताव पर काम कर रहे थे. उनके इस प्रस्ताव पर बुधवार को फैसला ले लिया गया - पीएम नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिया है कि एक मई से भारत में लालबत्ती वाली इस वीआईपी परंपरा को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. NDTV से खास बातचीत में गडकरी ने कहा कि इस फैसले से राजनीति के एक नए दौर की शुरूआत होगी और राजनीतिक वर्ग की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा 'यह लोकतंत्र के लिए एक अहम फैसला है क्योंकि कई लोगों को राजनेताओं के रवैये से काफी परेशानी थी. और लाल बत्ती सिस्टम तो एक तरह से प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था. इसलिए आज लिए गए इस फैसले से नई राजनीति के दौर का उदय होगा.'
बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग के बाद गडकरी पहले नेता थे जिन्होंने अपनी आधिकारिक कार से लाल बत्ती को हटाया. तो बिना लाल बत्ती वाली कार के सफर करने का अनुभव कैसा था. उनका जवाब था - यह खुशी और गर्व की बात थी. गडकरी ने कहा 'मैं बहुत खुश हूं. आज मेरी कार में लाल बत्ती नहीं थी, इस बात से मुझे खुशी और गर्व महसूस हो रहा है.'
गडकरी ने कहा कि उनकी मंत्रालय इस मुद्दे पर पिछले 18 महीने से चर्चा कर रहा था लेकिन इस पर एक राय नहीं बन पा रही थी. उन्होंने कहा 'फिर हमने अपने विकल्प पीएमओ के पास भेजे और कैबिनेट और पीएम की मदद के बाद ही हम इस फैसले पर पहुंच पाए.'
सूत्रों की मानें तो तीन विकल्पों में पहला तो यह था कि सभी उच्चाधिकारियों और नेताओं की गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी जाए. दूसरा विकल्प था कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को इस नियम से छूट मिले और तीसरा विकल्प था कि यथास्थिति बनी रहे. गडकरी को विपक्षी पार्टियों द्वारा इस ऐतिहासिक फैसले के लिए श्रेय लेने से कोई आपत्ति नहीं है. परिवहन मंत्री ने कहा 'कोई भी श्रेय ले मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है. लेकिन एक चीज़ साफ है, अच्छा काम अब शुरू हुआ है.' उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया है.
गौरतलब है कि दिल्ली की आप सरकार ने फरवरी 2015 में घोषणा की थी कि उनके मंत्री अपनी आधिकारिक कारों में लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करेंगे. वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले महीने पंजाब के सीएम बनने के बाद बिना लाल बत्ती के चलने का फैसला लिया था. नए नियमों के अनुसार सिर्फ एमरजेंसी वाहन ही लाल या किसी दूसरे रंग की बत्ती के साथ सड़क पर चल सकते हैं ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी रास्ता दिया जा सके.
केंद्रीय मंत्री ने कहा 'यह लोकतंत्र के लिए एक अहम फैसला है क्योंकि कई लोगों को राजनेताओं के रवैये से काफी परेशानी थी. और लाल बत्ती सिस्टम तो एक तरह से प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था. इसलिए आज लिए गए इस फैसले से नई राजनीति के दौर का उदय होगा.'
बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग के बाद गडकरी पहले नेता थे जिन्होंने अपनी आधिकारिक कार से लाल बत्ती को हटाया. तो बिना लाल बत्ती वाली कार के सफर करने का अनुभव कैसा था. उनका जवाब था - यह खुशी और गर्व की बात थी. गडकरी ने कहा 'मैं बहुत खुश हूं. आज मेरी कार में लाल बत्ती नहीं थी, इस बात से मुझे खुशी और गर्व महसूस हो रहा है.'
गडकरी ने कहा कि उनकी मंत्रालय इस मुद्दे पर पिछले 18 महीने से चर्चा कर रहा था लेकिन इस पर एक राय नहीं बन पा रही थी. उन्होंने कहा 'फिर हमने अपने विकल्प पीएमओ के पास भेजे और कैबिनेट और पीएम की मदद के बाद ही हम इस फैसले पर पहुंच पाए.'
सूत्रों की मानें तो तीन विकल्पों में पहला तो यह था कि सभी उच्चाधिकारियों और नेताओं की गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी जाए. दूसरा विकल्प था कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को इस नियम से छूट मिले और तीसरा विकल्प था कि यथास्थिति बनी रहे. गडकरी को विपक्षी पार्टियों द्वारा इस ऐतिहासिक फैसले के लिए श्रेय लेने से कोई आपत्ति नहीं है. परिवहन मंत्री ने कहा 'कोई भी श्रेय ले मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है. लेकिन एक चीज़ साफ है, अच्छा काम अब शुरू हुआ है.' उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया है.
गौरतलब है कि दिल्ली की आप सरकार ने फरवरी 2015 में घोषणा की थी कि उनके मंत्री अपनी आधिकारिक कारों में लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करेंगे. वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले महीने पंजाब के सीएम बनने के बाद बिना लाल बत्ती के चलने का फैसला लिया था. नए नियमों के अनुसार सिर्फ एमरजेंसी वाहन ही लाल या किसी दूसरे रंग की बत्ती के साथ सड़क पर चल सकते हैं ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी रास्ता दिया जा सके.
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