अयोध्या में ट्रस्ट बनाने की कवायद शुरू हो गयी है. सरकार कानूनी सलाहकारों से राय-मश्विरे के बाद ट्रस्ट का प्रारूप तय करेगी. उधर निर्मोही अखाड़ा ने संकेत दिया है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से वो असंतुष्ट हैं और पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं. निर्मोही अखाड़ा हैरान है कि अयोध्या मामले में सबसे पुराना पक्षकार होने के बावजूद उसका दावा सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. अब वह फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार कर रहा है. ये बात निर्मोही अखाड़ा के सरपंच राजा रामचंद आचार्य ने एनडीटीवी से कही. राजा रामचंद आचार्य ने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट का स्वागत करते हैं. लेकिन आखिरी फैसले में निर्मोही अखाड़ा की जो अनदेखी की गई है इससे हम असंतुष्ट हैं. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद अपने हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में निवेदन करेंगे.'
उधर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन पर बातचीत शुरू हो गई है. इसमें गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय की अहम भूमिका होगी. सरकार कानून सलाहकारों से राय-मश्विरे के बाद प्रस्तावित ट्रस्ट की रूप-रेखा तय करेगी. निर्मोही अखाड़ा चाहता है कि कम से कम ट्रस्ट में उसकी अहम भूमिका हो. निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता, कार्तिक चोपड़ा ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा का उचित प्रतिनिधित्व होगा. हम सरकार से स्पष्टता चाहते हैं कि निर्मोही अखाड़ा को ट्रस्ट में किस रूप में रखा जाएगा और उसकी ट्रस्ट के कामकाज में क्या भूमिका होगी.'
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संकेत हैं कि अगले हफ्ते शुरू हो रहे संसद के शीत सत्र के दौरान कानूनी सलाहकारों और इंटर-मिनिस्टीरियल कन्सलटेशन के बाद ट्रस्ट का प्रारूप तय कर लिया जाएगा.
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