सत्याग्रहियों ने भूमिहीनों को ज़मीन का हक दिलाने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया है। इस बार हजारों लोगों को साथ लेकर पलवल से दिल्ली आए सत्याग्रहियों के नेता पीवी राजगोपाल ने एनडीटीवी से कहा है कि एनडीए सरकार के मौजूदा रुख को देखते हुए अगली बार दस लाख भूमिहीनों को दिल्ली लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
राजगोपाल ने कहा, 'अगली बार जब मैं दिल्ली आऊंगा तो मेरे साथ 10 लाख भूमिहीन सत्याग्रही होंगे। हमने दस लाख लोगों को दिल्ली लाने की तैयारी शुरू कर दी है।'
दरअसल तैयारी भूमि अधिकार आंदोलन को साल 2018 तक और आगे बढ़ाने की है। राजगोपाल ने कहा कि सत्याग्रहियों को एकजुट करने के लिए देश के हर ज़िले में 500 नौजवानों को खासतौर से ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके तहत देशभर में 3 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा जो 10 लाख लोगों को लेकर दिल्ली आएंगे। इस मुहीम में कई सामाजिक संगठन भी लामबंद हो रहे हैं।
2012 में करीब 50,000 सत्याग्रहियों ने भूमिहीनों को घर बनाने के लिए ज़मीन का हक दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली की ओर मार्च किया था। उस वक्त की यूपीए सरकार ने आगरा में ही रोककर आश्वासन दिया था कि आवासीय भूमि अधिकार बिल संसद में जल्दी पेश होगा। लेकिन आज तक बिल संसद में पेश नहीं हो सका।
पिछले हफ्ते फिर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सत्याग्रहियों के प्रतिनिधियों को बिल संसद में पेश करने का आश्वासन दिया है। लेकिन इस बार सत्याग्रहियों ने सरकार को एक तय समय सीमा के तहत उनकी मांगों को पूरा करने की गुज़ारिश की है। बड़ी संख्या में दिल्ली की ओर मार्च करने का फैसला एनडीए सरकार पर दबाव बढ़ाने की एक नई कोशिश है। अब देखना अहम होगा कि सत्याग्रहियों की रणनीति इस बार किस हद तक सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हो पाती है।
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