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This Article is From Apr 26, 2018

नई नौकरियां या आंकड़ों की बाजीगरी...

सरकार इन नये आंकड़ों को नई नौकरियों की तरह दिखाना चाहती है लेकिन सरकार की पहले आई एक रिपोर्ट ही इन सभी तर्क और दावों को खारिज कर चुकी है.

नई नौकरियां या आंकड़ों की बाजीगरी...
मध्‍य प्रदेश में प्रदर्शन करते बेरोजगार युवा (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: कुछ वक्त पहले आरबीआई के आंकड़ों ने बताया कि बाज़ार में नौकरियों का धंधा मंदा है. अब ईपीएफ विभाग ने पहली बार महीनेवार उन कर्मचारियों की संख्या जारी की है जिन्हें ईपीएफ रोल में जोड़ा जा रहा है. यानी जिन लोगों के नये खाते खुल रहे हैं. सरकार इन नये आंकड़ों को नई नौकरियों की तरह दिखाना चाहती है लेकिन सरकार की पहले आई एक रिपोर्ट ही इन सभी तर्क और दावों को खारिज कर चुकी है. सरकार का दावा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ में खुले नये खातों के दम पर है जहां वह कहती है कि वह हर महीने औसतन 5 लाख से अधिक लोगों को नौकरी दे रही है... लेकिन क्या ये सच है.

हमने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री प्रो. हिमांशु से बात की. प्रोफेसर हिमांशु के मुताबिक, "ये नहीं कहा जा सकता कि ईपीएफओ में खुले खाते नई नौकरियां हैं. ये बहुत मुमकिन है कि ये पुरानी नौकरियां हैं और जिनके खाते खुले हैं वह जो संगठित क्षेत्र में आये हैं. क्योंकि फॉर्मेलाइजेशन हो रहा है तो लोगों के ईपीएफ खाते खुल रहे होंगे.

सवाल यही है. ईपीएफओ के आंकड़े उम्र के हिसाब से जारी किये गये हैं. 23 साल तक की उम्र के जिन लोगों के ईपीएफ खाते खुले हैं उनकी नई और पहली नौकरियां होने की संभावना है लेकिन 25 साल से बड़ी उम्र के लोगों का पहला जॉब होगा ये नहीं कहा जा सकता. नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद संगठित क्षेत्र को बढ़ाने में भी सरकार का जोर है. ये उस दिशा में तो एक पहल कही जा सकती है लेकिन सारी नौकरियां नई हैं ऐसा नहीं कहा जा सकता.

EPFO ने पहली बार ये आंकड़े सार्वजनिक किये हैं. ईपीएफओ के मुताबिक ईपीएफ कार्यालय में सितंबर 2017 में 4.35 लाख नये खाते खुले. फिर हर महीने इनकी कुल संख्या घटती बढ़ती रही. हालांकि इस साल जनवरी के मुकाबले फरवरी में नये खातों की संख्या में 20 प्रतिशत गिरावट आयी है जो सवा लाख से अधिक है.
 
employment graph 650

जनवरी में प्रधानमंत्री कार्यालय के कहने पर एक 'स्वतन्त्र रिपोर्ट' जारी हुई जिसमें इन्हीं आंकड़ों को आधार बनाकर कहा गया कि साल में 70 लाख से अधिक नौकरियां पैदा की जा रही हैं.

लेकिन एनडीटीवी इंडिया को ईपीएफओ के वरिष्ठ अधिकारियों ने ही बताया कि, "ये आंकड़े नई नौकरियां नहीं बताते. ये आंकड़े सिर्फ ये बताते हैं कितने लोगों के नये खाते हमारे यहां खुले. हो सकता है इनमें से कई लोग पहले ठेके पर रहे हों जिनकी नौकरी रेगुलर हो गई हो."

सरकार के दिये अपने आंकड़ों में ही एक और उलझन हैं क्योंकि वह भविष्य निधि (EPFO) बीमा योजना (ESIC) और पेंशन फंड (NPS) के नये खातों के जो आंकड़े दिखा रही है उनमें काफी ओवरलैपिंग हो सकती है.

VIDEO: नई नौकरियां या आंकड़ों का खेल?

जानकार बता रहे हैं कि इन आंकड़ों से कोई साफ अंदाजा नहीं लग सकता. इससे पहले नीति आयोग के ही अरविन्द पनगढ़ि‍या ने नौकरियों को लेकर निकाली रिपोर्ट में ऐसे आंकड़ों पर सवाल खड़ा किया था. पनगढ़ि‍या ने तब साफ कहा था कि ऐसे आंकड़ों को नई नौकरी नहीं कहा जा सकता है. पनगढ़ि‍या का इशारा था कि ये बस नौकरी का पक्का होना कहा जा सकता है. उन्होंने उस रिपोर्ट में तमाम आंकड़ों की ओवरलैपिंग का सवाल भी उठाया था. तो क्या चुनावी साल में सरकार पर इतना दबाव है कि वह आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है.

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