रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आये दिन होने वाले तनाव और विवाद के निपटारे के लिये भारत और चीन की सेनाओं के बीच जल्द ही हॉट लाइन स्थापित होगी. आज नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच शुरू हुई बातचीत में ये फैसला लिया गया. बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंग के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के साथ साथ क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर खुलकर और रचनात्मक ढंग से बातचीत हुई है. बैठक काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई.
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दोनों पक्षों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान में हुई अनौपचारिक मुलाकात में तय हुई. दोनों देशों की सेनाओं के बीच हालिया आदान प्रदान का स्वागत किया. बैठक में दोनों देशों के सेनाओं के बीच प्रशिक्षण, साझा युद्धाभ्यास एवं अन्य पेशेवर संबंधों का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया गया.
बैठक में दोनों देशों के मध्य रक्षा सहयोग पर 2006 में तय द्विपक्षीय एमओयू के स्थान पर नया समझौता करने का निर्णय भी लिया गया. मंत्रियों ने सीमा से जुड़े समस्याओं पर भी बातचीत की. यह तय किया कि आपसी विश्वास बहाली के लिए जारी मौजूदा कदमों को और आगे बढ़ाया जाएगा. साथ ही सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के लिए दोनों देशों के सेनाओ के बीच जल्द हॉटलाइन समेत ज़मीनी स्तर पर कदम उठाए जाएंगे.
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आपको बता दें कि बुधवार को ही जनरल वी फेंग अपने 24 सदस्यीय उच्चस्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की यात्रा पर आए थे. चीनी प्रतिनिधिमंडल में चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के एयर मार्शल डी चांग, वेस्टर्न थिएटर कमाण्ड के लेफ्टिनेंट जनरल जी रॉन्ग और चार मेजर जनरल रैंक के अधिकारी शामिल हैं.
वैसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के सैनिकों द्वारा इस साल अतिक्रमण की 170 से ज़्यादा घटनाएं हुई हैं. डोकलाम में जारी तनाव के बीच पिछले साल चीन सैनिकों ने भारतीय सीमा में अतिक्रमण की 426 घटनाएं हुईं थी. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हुई मुलाकातों के बाद दावा किया जा रहा है कि दोनों देशों के संबंधों में तनाव घट रहा है लेकिन बार बार सीमा पर चीन जिस तरह से हरकत कर रहा है उससे कई सवाल पैदा हो रहे हैं.
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बैठक में दोनों देशों के मध्य रक्षा सहयोग पर 2006 में तय द्विपक्षीय एमओयू के स्थान पर नया समझौता करने का निर्णय भी लिया गया. मंत्रियों ने सीमा से जुड़े समस्याओं पर भी बातचीत की. यह तय किया कि आपसी विश्वास बहाली के लिए जारी मौजूदा कदमों को और आगे बढ़ाया जाएगा. साथ ही सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के लिए दोनों देशों के सेनाओ के बीच जल्द हॉटलाइन समेत ज़मीनी स्तर पर कदम उठाए जाएंगे.
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