नई दिल्ली:
पर्यावरण के अनुकूल और दोबारा इस्तेमाल करने योग्य एक नया बायोसेंसर ईजाद किया गया है जिससे रक्त के नमूनों से डेंगू वायरस का तुरंत पता चल सकता है. इस खोज से डेंगू जैसी प्राणघातक बीमारी का शुरुआती स्तर पर पता लगाने के लिए पेपर आधारित टेस्ट की कीमत में कमी आ सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, डेंगू भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महामारी है. वर्ष 2015 में देशभर में डेंगू के कुल 99,913 मामले सामने आए थे और 220 लोगों की मौत हो गई थी.
डेंगू में बहुत तेज बुखार चढ़ता है और इससे मौत भी हो सकती है. यह बीमारी चार डेंगू वायरस की प्रजातियों मे से किसी एक से संक्रमित मच्छर के काटने से होती है.
मौजूदा जांच के तरीकों से सभी चार तरह के डेंगू वायरस की पहचान नहीं की जा सकती.
प्रभावी और बहु उपयोगी सेंसर बनाने के लिए नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी, हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने फ्लोरीन मिले हुए टिन ऑक्साइड इलेक्ट्रॉड पर जिंक ऑक्साइड, पैलेडियम और प्लेटिनम के नैनोपार्टिकल्स को एकत्रित कर यह बायोसेंसर बनाया.
एमिटी यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर जागृति नारंग ने कहा, ‘ढाई साल पहले उत्तर भारत ज्यादातर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश डेंगू से पीड़ित था. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ थी. तब से इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन नहीं है. एहतियात बरतने के लिए शुरुआती स्तर पर ही इसका पता लगाना जरुरी है.’ शोधकर्ताओं ने कहा कि इस चिप सेंसर की मदद से डेंगू वायरस के सभी तरह की प्रजातियों का पता लगाया जा सकता है.
यह शोध पत्रिका बायोसेंसर्स और बायोइलेक्ट्रॉनिक्स में प्रकाशित हुआ है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, डेंगू भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महामारी है. वर्ष 2015 में देशभर में डेंगू के कुल 99,913 मामले सामने आए थे और 220 लोगों की मौत हो गई थी.
डेंगू में बहुत तेज बुखार चढ़ता है और इससे मौत भी हो सकती है. यह बीमारी चार डेंगू वायरस की प्रजातियों मे से किसी एक से संक्रमित मच्छर के काटने से होती है.
मौजूदा जांच के तरीकों से सभी चार तरह के डेंगू वायरस की पहचान नहीं की जा सकती.
प्रभावी और बहु उपयोगी सेंसर बनाने के लिए नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी, हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने फ्लोरीन मिले हुए टिन ऑक्साइड इलेक्ट्रॉड पर जिंक ऑक्साइड, पैलेडियम और प्लेटिनम के नैनोपार्टिकल्स को एकत्रित कर यह बायोसेंसर बनाया.
एमिटी यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर जागृति नारंग ने कहा, ‘ढाई साल पहले उत्तर भारत ज्यादातर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश डेंगू से पीड़ित था. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ थी. तब से इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन नहीं है. एहतियात बरतने के लिए शुरुआती स्तर पर ही इसका पता लगाना जरुरी है.’ शोधकर्ताओं ने कहा कि इस चिप सेंसर की मदद से डेंगू वायरस के सभी तरह की प्रजातियों का पता लगाया जा सकता है.
यह शोध पत्रिका बायोसेंसर्स और बायोइलेक्ट्रॉनिक्स में प्रकाशित हुआ है.
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