लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत
नई दिल्ली:
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत देश के अगले सेना अध्यक्ष होंगे. वर्तमान समय में वह थलसेना सहसेनाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं. लेफ्टिनेंट जनरल रावत जनरल दलबीर सिंह का स्थान लेंगे. 23 दिन बाद वह अपनी नई ज़िम्मेदारी संभालेंगे. आमतौर पर नए सेना प्रमुख के नाम की घोषणा लगभग दो माह पहले हो जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.
सरकार ने उनकी नियुक्ति छह माह पूर्व ही थलसेना सहसेनाध्यक्ष पद पर की थी. उनकी यह नियुक्ति उस समय हुई थी जब घाटी में अशांति का दौर था. नए सेना प्रमुख की नियुक्ति से सरकार ने इस बात की ओर संकेत दे दिया है कि वह घाटी की स्थिति पर आगे भी कड़ी नज़र बनाए हुए है.
भारत के थल सेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे हैं. थल सेना अध्यक्ष के पद तक का सफ़र तय करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत भारतीय सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे. उनके पिता भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के कमांडेंट के पद पर भी रहे. वहीं जनरल रावत ने सहसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर का पद संभाला था.
ले. जनरल बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वह इस पद पर पहुंचने वाले उत्तराखंड के पहले अधिकारी है. शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल के पूर्व छात्र रहे जनरल रावत ने वर्ष 1978 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से पास आउट होने के बाद उन्हें 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला.
जनरल रावत का करियर उपलब्धियां भरा रहा है. वह दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होने वाले बैच के श्रेष्ठतम कैडेट रहे और उन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर मिला. लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से अलंकृत किए गए हैं.
अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत इस पद पर पहुंचे हैं. इससे पहले उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे. उनके पिता भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के कमांडेंट भी रहे. वहीं जनरल रावत ने सहसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले
सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर का पद भी संभाल चुके हैं.
कांगो में मल्टीनेशन ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ ही वह यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल व फोर्स कमांडर भी रह चुके हैं. सेना में कई अहम पद संभालने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके लेख विभिन्न जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं. मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध के लिए उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है.
सरकार ने उनकी नियुक्ति छह माह पूर्व ही थलसेना सहसेनाध्यक्ष पद पर की थी. उनकी यह नियुक्ति उस समय हुई थी जब घाटी में अशांति का दौर था. नए सेना प्रमुख की नियुक्ति से सरकार ने इस बात की ओर संकेत दे दिया है कि वह घाटी की स्थिति पर आगे भी कड़ी नज़र बनाए हुए है.
भारत के थल सेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे हैं. थल सेना अध्यक्ष के पद तक का सफ़र तय करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत भारतीय सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे. उनके पिता भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के कमांडेंट के पद पर भी रहे. वहीं जनरल रावत ने सहसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर का पद संभाला था.
ले. जनरल बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वह इस पद पर पहुंचने वाले उत्तराखंड के पहले अधिकारी है. शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल के पूर्व छात्र रहे जनरल रावत ने वर्ष 1978 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से पास आउट होने के बाद उन्हें 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला.
जनरल रावत का करियर उपलब्धियां भरा रहा है. वह दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होने वाले बैच के श्रेष्ठतम कैडेट रहे और उन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर मिला. लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से अलंकृत किए गए हैं.
अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत इस पद पर पहुंचे हैं. इससे पहले उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे. उनके पिता भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के कमांडेंट भी रहे. वहीं जनरल रावत ने सहसेनाध्यक्ष का पद संभालने से पहले
सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर का पद भी संभाल चुके हैं.
कांगो में मल्टीनेशन ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ ही वह यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल व फोर्स कमांडर भी रह चुके हैं. सेना में कई अहम पद संभालने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके लेख विभिन्न जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं. मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटिजिक स्टडीज पर शोध के लिए उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है.
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