इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से अनुरोध किया है कि वे नीट-पीजी परीक्षा में शामिल हुए सभी उम्मीदवारों को बिना किसी कट-ऑफ के ‘मॉप-अप' काउंसलिंग और ‘स्ट्रे वेकेंसी राउंड' में भाग लेने की अनुमति दें. आईएमए ने कहा कि इन उम्मीदवारों ने अपनी स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है और इस प्रकार बुनियादी पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं.
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इसने गुरुवार को भेजे एक पत्र में कहा कि देश चिकित्सा के क्षेत्र में गंभीर आपातकाल से गुजर रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में कोई भी पद रिक्त रखने का खतरा नहीं उठाया जा सकता. चिकित्सकों के संगठन ने कहा, उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हर साल कई स्नातकोत्तर सीटें खाली रह जाती हैं, क्योंकि कट-ऑफ से ऊपर के पर्याप्त उम्मीदवार उन्हें नहीं चुनते हैं. इसमें दावा किया गया है कि प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेजों में भी पैरा-क्लिनिकल और बुनियादी विषयों में सीटें खाली रहती हैं.
आईएमए ने कहा, 'भारत को बहुत सारे विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है और यह बात समझनी चाहिए कि कोई भी सीट खाली न रहे, खासकर तब, जब इच्छुक उम्मीदवार प्रवेश लेने की प्रतीक्षा कर रहे हों, लेकिन पात्रता प्रतिबंधों के कारण वे प्रवेश नहीं ले सकते.'
चिकित्सकों के निकाय ने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय में नए उपायों की जरूरत है. आईएमए ने कहा, ‘‘इस प्रकार यह अनुरोध किया जाता है कि कट-ऑफ की शर्त को माफ कर दिया जाए और नीट रैंकिंग का उपयोग करके अन्य प्रकार से पात्र सभी उम्मीदवारों को प्रवेश की पेशकश की जाए. महामारी को देखते हुए इस वर्ष एक बार के उपाय के रूप में इस पर विचार किया जा सकता है.''
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