एनडीटीवी एक्सक्लूसिव : झारखंड से बच्चों को लाकर नोएडा में करवाई जा रही है चोरी

नई दिल्ली:

झारखंड से बच्चों को लाकर नोएडा में उनसे चोरी करवाई जा रही है। बीते 4 साल में नोएडा में ऐसे करीब 15 बच्चे पकड़े गए और सबसे बड़ा खुलासा यह कि ये सभी बच्चे झारखंड के एक ही जिले के तीन गांवों के हैं, लेकिन पुलिस अब तक बच्चों को जुर्म की दुनिया तक पहुंचाने वाले एक भी गुनाहगार को नहीं पकड़ सकी है। देखिए ऐसे बच्चों पर एनडीटीवी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

महिला का पर्स चोरी करने की कोशिश में 12 दिसंबर,2014 को नोएडा,सेक्टर-20 से बरामद हुए बच्चे ने बताया कि मेरी नानी ने बोला चलो। पैसे की जरूरत थी। हम दो भाई और एक बहन हैं। पिता की मौत हो चुकी है। नानी ने बोला दिल्ली में कुछ काम करा देंगे। दुकान में लगा देंगे तो मैंने बोला ठीक है। वह मुझे यहां ले आईं ट्रेनिंग दी, चोरी करना पर्स लेना और भाग जाना।

सवाल- ट्रेनिंग दी आपको?
बच्चा- हां, एक महीने की ट्रेनिंग
सवाल- कैसे क्या करते थे?
बच्चा- लेडीज के पीछे लग जाना और पर्स में से सामान निकालकर भाग जाना
सवाल-ये नानी कौन है ..इसका नाम क्या है ..क्या ये आपकी अपनी नानी है?
बच्चा-अपनी नानी नहीं है नानी का नाम सोनावती है
सवाल-ये कहां मिली आपको ?
बच्चा-गांव में
सवाल-गांव में पहली बार आयी थी या इसके पहले भी देखा था ?
बच्चा-पहली बार देखा था
सवाल-इसने आपके मां-बाप से बात की थी या खुद बात कर ली थी ?
बच्चा-मेरे से बात की थी और मैं भाग आया
सवाल-गांव से कैसे लाई आपको ?
बच्चा -ट्रेन से बिठाकर लाई फिर पुरानी दिल्ली उतार दिया

महिला का फोन चोरी करने की कोशिश में 20 जनवरी, 2015 को नोएडा सेक्टर-20 से बरामद बच्चे ने बताया कि
सुनील लेकर आया था। बोल रहा था चलो घुमाएंगे। यहां आने के बाद बोला 2-3 दिन काम करेगा चोरी का...हमने बोला नहीं करेंगे। बोला कर लो पैसा नहीं है। कैसे जाएंगे गांव, फोन बेचेंगे..।

सवाल-सुनील को क्या आप पहले से जानते हैं?
बच्चा-वो मेरी मम्मी को जानता है
सवाल-और कितने बच्चों को लेकर आया है ..कितने बच्चे हैं उसके पास?
बच्चा-2-3 लेकर आया था, वापस गांव पहुंचा दिया?
सवाल-सारे बच्चों से चोरी करवाता है?
बच्चा-हां
सवाल-क्या चोरी नहीं करने पर पिटाई करता है ?
बच्चा-हां
सवाल-कितनी बार चोरी की?
बच्चा-एक बार
सवाल-क्या चोरी कर रहे थे?
बच्चा-फोन
सवाल- किसका फोन चोरी कर रहे थे ?
बच्चा-मेम का
सवाल-तो आपको लोगों ने वहां पकड़ लिया?
बच्चा-हां
सवाल-पिटाई की आपकी ?
बच्चा-हां

सपनों का शहर नोएडा, आसमान छूती इमारतें, शानदार मॉल्स और दुकानों से घिरा, भीड़भरा सेक्टर 18 का अट्टा मार्केट। इसी चकाचौंध में 8-15 साल के कुछ बच्चे चोरी और झपटमारी के पैंतरे आजमाते हैं..और किसी की पलक झपकी नहीं कि पर्स और मोबाइल उड़ा ले जाते हैं कई बार कामयाब होते हैं तो कई बार किस्मत दगा दे जाती है

चाइल्डलाइन के संयोजनक सतप्रकाश ने बताया कि 2011 से 2015 तक हमारा अनुभव निकल कर आया कि सेक्टर-20 के आसपास जहां मॉल्स हैं, वहां पर छोटे-छोटे बच्चे जो लगभग 10-16 साल के होते हैं, वे चोरी करते हुए पकड़े जा रहे हैं और चोरी भी ऐसी जैसे मोबाइल-पर्स की छोटी-छोटी चोरियां। अब तक हमारे सामने ऐसे करीब 15 मामले सामने आए हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि ये सभी बच्चे झारखंड के एक ही जिले साहिबगंज के एक ही गांव महाराजगंज से हैं।

ऐसे में जाहिर है कि बच्चों को एक ही जगह से लाकर चोरी के धंधे में लगाने वाला कोई बड़ा गिरोह बेहद सक्रिय और बड़ा है। बचपन के उन सौदागरों में से कुछ के नाम तो ये बच्चे भी आपको बता देंगे।

चाइल्डलाइन की मानें तो जैसे ही बच्चे किसी जुर्म में पकड़े जाते हैं, दलालों के फोन आने शुरू हो जाते हैं। कभी कोई नानी बनकर याद करने लगता है तो कोई चाचा बनकर बात करता है। इतना ही नहीं बच्चों को छुड़ाने की एवज में पैसे का ऑफर भी देते हैं। इतना ही नहीं चाइल्डलाइन को खतरे का पूरा अहसास तब होता है जब ख़बर देने के बाद बच्चों के गरीब और अनपढ़ मां-बाप वहां से पूरे दस्तावेज और पक्की तैयारी कर यहां आता है, जिन्हें देखकर पहली नजर में ही लग जाता है कि उन्हें हर तरह की कानूनी मदद दलालों की तरफ से मुहैया कराई गई होगी ताकि बच्चों को छुड़ा कर दोबारा उसी धंधे में लगा सकें।

मिसाल के तौर पर  बीते साल 12 दिसंबर को पकड़े गए बच्चे को लेने एक महिला पहुंची। खुद को मां बताने वाली इस महिला के पास ग्राम पंचायत का सर्टिफिकेट और बच्चे के साथ अपनी कट पेस्ट की तस्वीर भी थी।

चाइल्डलाइन के संयोजक सतप्रकाश ने बताया कि  बाल कल्याण समिति को बच्चों के मां-बाप के सौंपने से पहले सीडब्ल्यूसी से घरेलू जांच करानी चाहिए वह इस चीज को फोलो नहीं कर रहे हैं। अब तक हमारे पास जो 15 मामले सामने आए हैं। उनमें किसी भी एक केस में सीडब्ल्यूसी ने घरेलू अध्ययन नहीं कराया ताकि ये पता चल सके कि बच्चे नोएडा क्यों आ रहे हैं उनका घरेलू परिवेश कैसा है।

रिकॉर्डस के मुताबिक, एक बच्चा एक ही पैटर्न पर चोरी करते दो बार पकड़ा गया। चाइल्ड लाइन के मुताबिक, पहली बार पकड़े गए बच्चों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं बनती। ऐसे बच्चे चाइल्ड एंड प्रोटेक्शन की कैटेगरी में आते हैं।
पुलिस डीडी एंट्री करती है और बाल कल्याण समिति के सामने पेश कर बच्चों को उनके घरवालों को सौंप दिया जाता है। चाइल्डलाइन ने 2013 में नोएडा के एसएसपी से बच्चों को जुर्म में धकेलने वाले गिरोह पर कार्रवाई की बात कही,
लेकिन पुलिस या सीडब्लूसी खामोश बनी रही, अब एनडीटीवी से पुलिस कड़े कदम उठाने की बात कर रही है।

नोएडा की क्राइम ब्रांच की एसपी सुनीता सिंह ने ये तो सही है, बच्चे मिले हैं। बच्चे परिवारों को हेंडओवर भी हो गए।  अब हम ये पता लगा रहे हैं कि बच्चों को लाया कौन, कोई न कोई व्यक्ति, हम उस व्यक्ति की खोज कर रहे हैं और जिस दिन वह व्यक्ति मिल जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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असल में अपराधी ये बच्चे नहीं बल्कि वे लोग हैं, जो बच्चों में ऐसी सोच पैदा करते हैं। उन्हें इस दलदल में धकेलते हैं। बच्चों को जुर्म की दुनिया में धकेलने वाले असली खिलाड़ी यही हैं। कुछ इसी शहर में तो कुछ इस शहर के आसपास के शहरों में, लेकिन इन्हें पकड़ने में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं।