यह ख़बर 22 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

बंधक संकट : नक्सली को जमानत, बातचीत जारी

खास बातें

  • दोनों बंधकों की रिहाई के लिए उड़ीसा सरकार और नक्सलियों द्वारा चयनित तीन मध्यस्थों के बीच वार्ता तीसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही।
भुवनेश्वर:

उड़ीसा के मलकानगिरी से अगवा जिलाधिकारी और एक जूनियर इंजीनियर की रिहाई के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी प्रयासों के बीच एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को एक नक्सली नेता की जमानत को मंजूरी दे दी। नक्सलियों ने पिछले सप्ताह जिलाधिकारी और जूनियर इंजीनियर को अगवा कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि नक्सली श्रीनिवास श्रीमानुलु इस समय मलकानगिरी जिले के एक जेल में बंद है और उसके ऊपर कई आरोप हैं। मलकानगिरी की अदालत में कार्यवाही के बाद राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "उसे केवल एक मामले में जमानत मिली है। वह अभी जेल में ही रहेगा क्योंकि उसके खिलाफ चार और आपराधिक मामले लम्बित हैं।" सूत्रों ने बताया कि बंधकों की रिहाई पर बातचीत की प्रक्रिया तेज करने के लिए नक्सलियों ने जो कई शर्ते रखी हैं उनमें श्रीमानुलु की रिहाई भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार श्रीमानुलु की रिहाई में सरकार की कोई भूमिका है यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन जानकार इस घटना को बातचीत की प्रक्रिया से जोड़कर देख रहे हैं। दोनों बंधकों की रिहाई के लिए उड़ीसा सरकार और नक्सलियों द्वारा चयनित तीन मध्यस्थों के बीच वार्ता तीसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि राज्य के गृह सचिव यूएन बेहरा और पंचायती राज सचिव एसएन त्रिपाठी ने राज्य अतिथि गृह में वार्ताकारों दंडपाणी मोहंती, जी. हरगोपाल व आर.सोमेश्वर राव के साथ बातचीत शुरू की। मंगलवार को बातचीत शुरू होने से पहले दो वार्ताकारों ने शीर्ष नक्सली नेता गांति प्रसादम से जेल में मुलाकात की। प्रसादम को बातचीत को गति देने के लिए यहां जेल में रखा गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "पुलिस का एक विशेष दल गांति प्रसादम को कोरापुट की एक जेल से लेकर सड़क मार्ग से मंगलवार तड़के भुवनेश्वर पहुंचा। प्रसादम को भुवनेश्वर की झारपाड़ा जेल में रखा गया है।" अधिकारी ने कहा, "प्रसादम के यहां पहुंचने के साथ ही दो मध्यस्थों, जी.हरगोपाल व दंडपाणी मोहंती ने उनसे जेल में मुलाकात की और उनके साथ बातचीत की।" बंधकों की सुरक्षित रिहाई के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहे मध्यस्थों ने गांति प्रसादम को यहां लाने के लिए कहा था। गांति प्रसादम एक नक्सली विचारक हैं और आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा में उसके खिलाफ कई आरोप हैं। हरगोपाल ने सोमवार को कहा था, "गांति प्रसादम के आ जाने के बाद बातचीत की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।" सूत्रों के अनुसार गांति प्रसादम को आंध्र प्रदेश की एक जेल से शनिवार की रात लाए जाने के लिए पुलिस ने एक अदालत से जेल स्थानांतरण वारंट हासिल कर लिया था। गांति प्रसादम के वकील ने कटक उच्च न्यायालय में सोमवार को एक जमानत याचिका दायर की। बातचीत की प्रक्रिया जारी रखने के लिए सरकारी वकील द्वारा इस जमानत याचिका का विरोध न किए जाने की सम्भावना है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "अदालत इस जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई कर सकती है।" एक विशेषज्ञ ने कहा कि उसके बाद यह अदालत पर निर्भर करता है कि वह जमानत देना चाहती है या नहीं। प्रसादम के अलावा चार अन्य नक्सलियों ने भी सोमवार को उच्च न्यायालय में अपनी जमानत याचिका दायर की। बंधकों की रिहाई के सिलसिले में वार्ताकारों एवं सरकार के बीच रविवार से शुरू हुई बातचीत रविवार एवं सोमवार दोनों दिन कई घंटों तक चली, लेकिन बातचीत अधूरी रह गई थी। नक्सलियों ने सरकार को भेजे एक पत्र में दोनों बंधकों की रिहाई के बदले अपनी मांगों की सूची सौंपी है। मांगों में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान को रोकना, सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करना, भूमि स्थानांतरण एवं परियोजनाओं के लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ किए गए करारों को रद्द करना, और पुलिस हिरासत में मारे गए नक्सल समर्थकों के परिवारों को मुआवजा देना शामिल है। सरकार ने 17 फरवरी को ही नक्सल विरोधी अभियान पर रोक लगा दी थी और सोमवार को वह नक्सलियों की 14 मांगों में से आठ मांगों पर राजी हो गई थी। ज्ञात हो कि मलकानगिरि के जिलाधिकारी आर.विनील कृष्णा और जूनियर इंजीनियर पबित्र मोहन माझी का नक्सलियों ने 16 फरवरी को अपहरण कर लिया था।


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