विज्ञापन
This Article is From Feb 02, 2019

Money laundering case: रॉबर्ट वाड्रा को राहत, कोर्ट ने दी 16 फरवरी तक अंतरिम जमानत

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लांड्रिंग के एक मामले में कोर्ट ने राहत दी है.

Money laundering case: रॉबर्ट वाड्रा को राहत, कोर्ट ने दी 16 फरवरी तक अंतरिम जमानत
रॉबर्ट वाड्रा को कोर्ट से मिली राहत
नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लांड्रिंग के एक मामले में कोर्ट ने राहत दी है. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लांड्रिंग के एक मामले में कोर्ट ने रॉबर्ट वार्डा को राहत देते हुए उनकी अंतरिम जमानत याचिका स्वीकार ली है और उन्हें 16 फरवरी तक गिरफ्तारी से राहत दे दी है. वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी ने कोर्ट को बताया कि रॉबर्ट 6 फरवरी की शाम को 4 बजे प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के सामने पेश होंगे. राबर्ट वाड्रा को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई है. 

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लांड्रिंग के एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया था. अभियोजन दल के अधिवक्ता ने पुष्टि की कि वाड्रा ने उस मामले में अग्रिम जमानत मांगी थी, जिसमें उनके करीबी सहयोगी मनोज अरोड़ा को अदालत ने 6 फरवरी तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था. यह मामला लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर पर स्थित एक संपत्ति की खरीद में धन शोधन के आरोपों से संबंधित है. इसे 19 लाख पाउंड में खरीदा गया था और इसका स्वामित्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा के पास है. वाड्रा की अग्रिम जमानत की अर्जी पर अदालत में कल सुनवाई होने की संभावना है. इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 19 जनवरी को अदालत को बताया था कि अरोड़ा जांच में सहयोग कर रहे हैं. 

नीरव मोदी की बहन भी निकली शातिर, मोटा पैसा लेकर भाई का काला धन कराया सफेद

अरोड़ा ने पहले अदालत में आरोप लगाया था कि राजग सरकार ने "राजनीतिक प्रतिशोध" के तहत उन्हें इस मुकदमे में फंसाया है. हालांकि, ईडी ने इन आरोपों का खारिज कर दिया था और कहा था, "क्या किसी भी अधिकारी को किसी भी राजनीतिक रूप से बड़े व्यक्ति की जांच नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसे राजनीतिक प्रतिशोध कहा जाएगा?" जांच एजेंसी ने अदालत को बताया था कि भगोड़े हथियार व्यापारी संजय भंडारी के खिलाफ आयकर विभाग काला धन अधिनियम एवं कर कानून के तहत जांच कर रहा है. इसी दौरान अरोड़ा की भूमिका सामने आयी और इसके आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज किया गया था. यह आरोप लगाया गया था कि लंदन स्थित संपत्ति को 19 लाख पाउंड में भंडारी ने खरीदा था और 2010 में इसे इतनी ही राशि में बेच दिया गया जबकि इसके नवीकरण पर लगभग 65,900 पाउंड खर्च किया गया था .

पीएनबी घोटाला: आरोपी ने पीएमएलए अदालत के अधिकार को चुनौती दी

ईडी ने अदालत को बताया था कि यह इस तथ्य पर विश्वास दिलाता है कि भंडारी संपत्ति का वास्तविक मालिक नहीं था, बल्कि वाड्रा के पास इसका स्वामित्व था, जो इसके नवीकरण पर खर्च कर रहे थे. ईडी ने आरोप लगाया था कि अरोड़ा, वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के एक कर्मचारी हैं. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि अरोड़ा को वाड्रा की विदेश में अघोषित संपत्ति के बारे में पता था और वह धन की व्यवस्था करने में सहायक था. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com