पार्क में फेंके गए कचरे की तस्वीर
मुंबई:
मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क में कई बंदरों की रहस्मय तरीके से हुई मौत और जंगल में शराब की अवैध भट्टियों के मिलने के बाद, जंगल में अवैध डंपिंग का मामला भी सामने आया है। आरोप है कि जंगल परिसर में पेड़ों की कटाई कर वहां कचरा फेंका जा रहा है।
मुंबई के बोरिविली इलाके से संजय गांधी नेशनल पार्क का इलाका शुरू होता है। शहर को साफ आबोहवा के लिए ये जंगल बेहद अहम है। इस पार्क में कई तरह के पेड़-पौधे हैं, कई जानवरों का यहां बसेरा है। लेकिन अब उनके इस बसेरे पर डंपिंग माफिया की नज़र है, शहर का टनों टन कचरा यहां फेंका जा रहा है।
नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर एक कॉन्ट्रेक्टर ने हमें बताया 'हम लोग जो बिल्डर मुंबई में है, उनकी बिल्डिंग से जो मलबा, कचरा निकलता है उसका ठेका लेते हैं। पहले हम लोग भायंदर जाते थे, लेकिन वहां जाने में ख़र्चा ज्यादा लगता है, इसलिए हम लोग यहां पर या जहां जगह ख़ाली मिलती है, वहां डंपिंग करते हैं। बिल्डरों से हम लोग प्रति गाड़ी 1100-1200 रुपये लेते हैं, और जहां जगह ख़ाली मिलती है वहां रात को गाड़ी खाली कर देते हैं।'
इस मामले में प्रशासन कह रहा है कि उसने कार्रवाई शुरू कर दी है। एसएनजीपी के चीफ कंसर्वेटर विकास गुप्ता ने कहा 'अवैध डंपिंग का एक प्रकरण हमारे नोटिस में आया है। यह इलाका जंगल और निजी ज़मीन की सीमा पर है उसका हमने सर्वे कराया और पाया कि डंपिंग ज्यादातर रिज़र्व फॉरेस्ट में पाया गया है। हमने मामला दर्ज कर लिया है और हमारी तफ्तीश जारी है। हमने इलाके में पेट्रोलिंग बढ़ा दी है, जो सामने आता है उसपर कार्रवाई ज़रूर होगी।'
संजय गांधी नेशनल पार्क के अंदर डंपिंग के अलावा अवैध झुग्गियां बसाने का मामला भी सामने आया है। प्रशासन इसे छोटा मामला बताकर सिर्फ कागजी कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है, लेकिन अगर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं जब शहर के लिए खुली हवा भी मुश्किल हो जाए।
मुंबई के बोरिविली इलाके से संजय गांधी नेशनल पार्क का इलाका शुरू होता है। शहर को साफ आबोहवा के लिए ये जंगल बेहद अहम है। इस पार्क में कई तरह के पेड़-पौधे हैं, कई जानवरों का यहां बसेरा है। लेकिन अब उनके इस बसेरे पर डंपिंग माफिया की नज़र है, शहर का टनों टन कचरा यहां फेंका जा रहा है।
नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर एक कॉन्ट्रेक्टर ने हमें बताया 'हम लोग जो बिल्डर मुंबई में है, उनकी बिल्डिंग से जो मलबा, कचरा निकलता है उसका ठेका लेते हैं। पहले हम लोग भायंदर जाते थे, लेकिन वहां जाने में ख़र्चा ज्यादा लगता है, इसलिए हम लोग यहां पर या जहां जगह ख़ाली मिलती है, वहां डंपिंग करते हैं। बिल्डरों से हम लोग प्रति गाड़ी 1100-1200 रुपये लेते हैं, और जहां जगह ख़ाली मिलती है वहां रात को गाड़ी खाली कर देते हैं।'
इस मामले में प्रशासन कह रहा है कि उसने कार्रवाई शुरू कर दी है। एसएनजीपी के चीफ कंसर्वेटर विकास गुप्ता ने कहा 'अवैध डंपिंग का एक प्रकरण हमारे नोटिस में आया है। यह इलाका जंगल और निजी ज़मीन की सीमा पर है उसका हमने सर्वे कराया और पाया कि डंपिंग ज्यादातर रिज़र्व फॉरेस्ट में पाया गया है। हमने मामला दर्ज कर लिया है और हमारी तफ्तीश जारी है। हमने इलाके में पेट्रोलिंग बढ़ा दी है, जो सामने आता है उसपर कार्रवाई ज़रूर होगी।'
संजय गांधी नेशनल पार्क के अंदर डंपिंग के अलावा अवैध झुग्गियां बसाने का मामला भी सामने आया है। प्रशासन इसे छोटा मामला बताकर सिर्फ कागजी कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है, लेकिन अगर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं जब शहर के लिए खुली हवा भी मुश्किल हो जाए।
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