राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा - NEP का मकसद एजुकेशन सिस्टम को नई दिशा देना  

राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यकीन है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) हमारे देश के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी. यह न केवल हमारे युवाओं के भविष्य को मजबूत बल्कि हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार करेगी. 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा - NEP का मकसद एजुकेशन सिस्टम को नई दिशा देना  

NEP हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार करेगी : राष्ट्रपति (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) को लेकर शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में हमारी शैक्षिक प्रणाली को पुनर्जीवित करना है. यह नीति सभी को गुणवत्तापरक शिक्षा देकर एक न्यायसंगत और जीवंत ज्ञानवान समाज विकसित करने की दृष्टि से तैयार की गई है.  'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन: उच्च शिक्षा' पर संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपराओं में जिज्ञासा को हमेशा प्रोत्साहित किया जाता रहा है. जिज्ञासा को जिगीषा (बहस या तर्क से जीतने की इच्छा) से अधिक महत्व दिया गया है. 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 12,500 से अधिक स्थानीय निकायों और लगभग 675 जिलों की व्यापक भागीदारी और 2 लाख से अधिक सुझावों पर विचार के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है." उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि 2018-19 के ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन में महिलाओं का GER पुरुषों से थोड़ा अधिक है. हालांकि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और तकनीकी शिक्षा में महिला छात्रों की हिस्सेदारी विशेष रूप से कम है. इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है. 

राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यकीन है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) हमारे देश के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी. यह न केवल हमारे युवाओं के भविष्य को मजबूत बल्कि हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार करेगी. 

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "एनईपी अंक या ग्रेड के लिए रट्टा मारने को हतोत्साहित करना चाहता है. यह महत्वपूर्ण सोच और जांच की भावना को प्रोत्साहित करना चाहता है." उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्व स्तर पर सम्मानित शिक्षा केंद्र था. तक्षशिला और नालंदा के विश्वविद्यालयों को प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त था, लेकिन आज भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त नहीं है.

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