
No National-Level Exams: अलग-अलग देशों में अलग-अलग शिक्षा व्यवस्था है, विदेशों में पढ़ने जाना भारतीय स्टूडेंट्स के लिए एक सपना रहा है. ऐसे में फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली इन दिनों खूब चर्चा में है. फिनलैंड सबसे हैप्पी देशों की लिस्ट में शामिल है और यहां का एजुकेशन सिस्टम भी काफी शानदार है. यहां की सरकार ने 6 वर्ष की आयु तक किसी भी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा पर रोक लगाई है.फिनलैंड उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 10-12) के बाद कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए केवल मैट्रिक परीक्षा आयोजित करता है. यहां पर छात्रों का मूल्यांकन प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन के जरिए से किया जाता है.
प्राइमरी स्कूलों में ऐसे होता है एडमिशन
वहीं भारत में देखा जाए तो 10 और 12 में बोर्ड परीक्षा देते है. फिनलैंड में, स्कूली शिक्षा 7 वर्ष की आयु से शुरू होती है. इससे पहले, बच्चे 0 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए डिज़ाइन की गई प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और देखभाल (ECEC) प्रणाली का हिस्सा होते हैं. स्थानीय अधिकारियों द्वारा संचालित यह प्रणाली बच्चों को परीक्षाओं की तैयारी कराने के बजाय उनके विकास में मदद करती है. ECEC की फीस परिवार की आय और बच्चों की संख्या पर निर्भर करती है. यानी वहां की फीस फिक्स नहीं है बल्कि परिवार के हिसाब से ली जाती है जिसकी वजह से परिवार में बच्चों के एजुकेशन को लेकर कोई तनाव नहीं होता. ये एक अनूठा पहल है.
बुनियादी शिक्षा (आयु 7-16)
यह 9-वर्षीय स्कूली शिक्षा चरण जीवन कौशल और समग्र विकास पर केंद्रित है. ज़्यादातर बच्चे पास के स्कूलों में पढ़ते हैं, हालांकि वे कुछ शर्तों के साथ दूसरे स्कूलों में भी आवेदन कर सकते हैं.
उच्च माध्यमिक शिक्षा (16 वर्ष के बाद)
बेसिक शिक्षा के बाद, छात्र सामान्य शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण में से चुन सकते हैं. दोनों ऑप्शन लगभग 3 साल के होते हैं और छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए योग्य बनाते हैं. व्यावसायिक प्रशिक्षण विशेष रूप से तकनीक, स्वास्थ्य सेवा और परिवहन जैसे क्षेत्रों में लोकप्रिय है, और 40 प्रतिशत से ज़्यादा छात्र इसे चुनते हैं.
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