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This Article is From Oct 06, 2016

जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण पर पीएम नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई

जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण पर पीएम नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई
पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण को देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का दूसरा ‘मील का पत्थर’ बताते हुए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी.

पीएम मोदी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा, संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई. यह हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का दूसरा ‘मील का पत्थर’ है. उल्लेखनीय है कि फ्रेंच गुएना के कोउरू अंतरिक्ष केन्द्र से एरियनस्पेस रॉकेट के जरिए जीसैट-18 का सफल प्रक्षेपण किया गया है. इस उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा किया गया है. उपग्रह का प्रक्षेपण देश की संचार सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है. जीसैट-18 के प्रक्षेपण के बाद संचार सेवाओं के लिए देश द्वारा परिचालित उपग्रहों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है.

उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए एरियनस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन इस्राइल ने ट्वीट किया, हमें इसरो के साथ अपने मजूबत संबंधों पर गर्व है. आज रात 20वां उपग्रह भेजा. भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए प्रक्षेपित. बधाई.

मिशन नियंत्रण केंद्र से प्रक्षेपण पर नजर रखने वाले इसरो अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने अपने संदेश में कहा, मैं एरियन-5 वीए-231 की गौरवशाली तथा त्रुटिरहित उड़ान को देखकर प्रसन्न हूं जो जीसैट..18 और स्काईमस्टर..2 को सफलतापूर्वक ले गया. पूर्व के सभी अवसरों की तरह एरियनस्पेस ने हमें एक शानदार उड़ान उपलब्ध कराई. इन बैंडों में परिचालित उपग्रहों पर सेवा निरंतरता उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया जीसैट..18 उपग्रह करीब 15 साल के सेवा मिशन पर गया है.

जीटीओ में जीसैट..18 के प्रक्षेपण के साथ ही कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो के प्रमुख नियंत्रण केंद्र (एमसीएफ) ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया और यह केंद्र उपग्रह की लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) के जरिए इसे वृत्ताकार भूस्थतिक कक्षा में स्थापित कर इसकी कक्षा बदलने का काम करेगा.

इसरो ने कहा कि इसके बाद, सौर पैनल और एंटीना जैसे उपकरणों की तैनाती तथा उपग्रह का त्रि-अक्ष स्थिरीकरण करने का कार्य किया जाएगा. जीसैट..18 को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर में तथा अन्य परिचालित उपग्रहों के साथ सह स्थापित किया जाएगा.

जीसैट..18 का सह यात्री स्काई मस्टर..2 खास तौर पर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल अंतराल को पाटने के लिए है. इसका निर्माण पालो आल्टो, कैलिफोर्निया सहित एसएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) ने किया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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