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ये है सेना का नया 'जासूस', रात-दिन करेगा काम, इसरो ने किया तैयार

पाकिस्‍तान से तनाव के बीच भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने में जुटा हुआ है. भारत की सीमाओं की निगरानी बढ़ाने के लिए इसरो एक सेटेलाइट लॉन्‍च करने जा रहा है, जो रात में भी बेहतर निगरानी करेगा और हाई रेजोल्‍यूशन तस्‍वीरें भेजने में सक्षम है.

ये है सेना का नया 'जासूस', रात-दिन करेगा काम, इसरो ने किया तैयार
रात में सेना की आंख बनेगा ये 'जासूस', हर मौसम में करेगा काम...
नई दिल्‍ली:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक ऐसी सेटेलाइट लॉन्‍च करने जा रहा है, जो बादलों के पार और रात में भी देख सकता है. इससे भारत की सेटेलाइट-बेस्‍ड निगरानी क्षमता में और अधिक मजबूती आएगी. पाकिस्‍तान के साथ तनाव की स्थिति में यह भारतीय सीमाओं की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा. रविवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 5.59 बजे प्रक्षेपण के लिए निर्धारित, रडार उपग्रह को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) पर सवार होकर कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा. इसरो द्वारा बड़े रॉकेट के 101वें प्रक्षेपण में 1,696 किलोग्राम का ईओएस-9 रडार इमेजिंग उपग्रह पृथ्वी की सतह से 500 किलोमीटर से अधिक ऊपर स्थापित किया जाएगा.

क्‍या काम करेगा नया सेटेलाइट

बेंगलुरू में इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिजाइन किया गया स्वदेशी रूप से निर्मित "जासूसी" उपग्रह, सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार से लैस है, जो इसे सभी मौसम की स्थिति और कम रोशनी में पृथ्वी की सतह की हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली फोटो को कैप्चर करने में सक्षम बनाता है. ईओएस-9 भारत के अंतरिक्ष में पहले से मौजूद 50 से अधिक उपग्रहों के मौजूदा समूह में एक अतिरिक्त उपग्रह होगा. इनमें कक्षा में स्थापित सात रडार उपग्रह शामिल हैं, जो 22 अप्रैल को पहागाम हमले और उसके बाद दोनों ओर से सैन्य कार्रवाई के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के दौरान सीमाओं पर नजर रखे हुए थे.

सेटेलाइट, ड्रोन के बिना संभव नहीं...

यह सेटेलाइट कार्टोसैट-3 उपग्रह की तुलना में काफी बेहतर तस्वीरें उपलब्ध कराएगा, जो रात में अंधा हो जाता है. कार्टोसैट-3 उपग्रह अपनी निचली पृथ्वी कक्षा से आधे मीटर से भी कम रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें भेज सकता है. इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा, 'देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 10 सेटेलाइट चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. देश को अपने 7,000 किलोमीटर के समुद्री तट क्षेत्रों और पूरे उत्तरी भाग की निगरानी करनी है. उपग्रह और ड्रोन तकनीक के बिना देश यह हासिल नहीं कर सकता.'

मिशन के बारे में बात करते हुए केंद्रीय अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सटीकता, टीमवर्क और इंजीनियरिंग भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को शक्ति प्रदान करते हैं. इस लॉन्च में कई संसद सदस्य शामिल होंगे.
 

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