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This Article is From Apr 23, 2020

मुस्लिम उलेमा ने फतवा जारी कर कहा- कोरोना से मरने वालों को कफन न पहनाया जाए

भारत सरकार ने कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार को लेकर गाइडलाइन जारी किया था. जिसके तहत शव से दूर रहने की बात कही गयी है.

मुस्लिम उलेमा ने फतवा जारी कर कहा- कोरोना से मरने वालों को कफन न पहनाया जाए
कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार को लेकर जारी किया गया फतवा
लखनऊ:

कोरोना ने दुनिया में बहुत कुछ बदल दिया है, यहां तक कि अंतिम संस्कार तक में परिवर्तन करने की जरूरत हो गयी है. जनाजे को कफन पहनाने की परंपरा तो हर जगह रही है, लेकिन अब यह भी कोरोना से मरने वालों से संक्रमण का खतरा होने के कारण बदलने की नौबत आ गयी है. मुस्लिम उलेमा खालिद रशीद फिरंगी महली ने फतवा जारी किया है कि कोरोना से मरने वालों को न तो कफन पहनाया जाए और न ही नहलाया जाए. बल्कि अस्पताल ने जिस प्लास्टिक के बैग में शव को सौपा है उसे ही कफन समझ कर दफन कर दिया जाए. साथ ही यह भी कहा है कि किसी भी मुसलमान को कब्रिस्तान में दफन होने  से कोई रोक नहीं सकता है . उलेमा की तरफ से यह फतवा तब आया है जब लखनऊ में कोरोना से मरे एक शख्स को शहर के सबसे बड़े कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत नहीं दी गयी थी.

गौरतलब है कि भारत सरकार ने कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार को लेकर गाइडलाइन जारी किया था. जिसके तहत शव से दूर रहने की बात कही गयी है साथ ही जिस बैग में शव को पैक कर के दिया जाएगा उससे सिर्फ चेहरे को दिखाने की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन शव को किसी भी तरह से छूने या लिपटने की इजाजत नहीं दी जाएगी. शव को कब्र में डालने वाले या जलाने लोगों को PPE किट पहनने की जरूरत होगी. साथ ही सरकार की तरफ से कहा गया है कि अंतिम संस्कार के बाद राख से संक्रमण का खतरा नहीं है. 

कोरोना को लेकर लोगों में कई तरह के अफवाह भी फैल चुके हैं. कई जगहों पर लोगों के द्वारा शव को जलाने या दफनाने से भी रोकने का प्रयास किया गया है. लखनऊ के ऐशबाग कब्रिस्तान  में कोरोना के मरीज के शव को दफनाने से रोक दिया गया था. मुंबई के मलाड में एक मरीज को जब दफनाने नहीं दिया गया तो उसे जलाना पड़ा. देश भर में ऐसे कई उदाहरण है जिसमें लोगों के बीच फैले अफवाह के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा है. 

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