पुरी में जगन्नाथ यात्रा की इजाजत की मांग, मुस्लिम व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की

आफताब हुसैन ने याचिका में कहा है कि रथ यात्रा लगातार हजार वर्षों से हो रही है, इसको रोकने का कोई भी कदम दैवीय नाराजगी लाएगा

पुरी में जगन्नाथ यात्रा की इजाजत की मांग, मुस्लिम व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की

जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा की फाइल फोटो.

नई दिल्ली:

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में संशोधन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि जगन्नाथ यात्रा को केवल पुरी में निकालने की इजाज़त मिले. आग्रह किया गया है कि यह यात्रा निकालने और पूजा के लिए लाखों लोगों को नहीं केवल 500-600 लोगों को इजाज़त मिले जो कोरोना संकट के मद्देनज़र जारी बचाव संबंधी गाइडलाइन और आपसी दूरी का पूरा ख़्याल रखेंगे. इसके अलावा पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा की अनुमति देने की मांग को लेकर एक मुस्लिम भी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गए हैं. उन्होंने भी याचिका दाखिल की है.

पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा की अनुमति देने के लिए अब एक मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा है कि ये यात्रा सिर्फ सेवायत पूरी कर सकते हैं. ओडिशा के नयागढ़ जिले के आफताब हुसैन ने याचिका में कहा है कि रथ यात्रा लगातार हजार वर्षों से की जा रही है और एक बार इसे रोक दिया गया तो अगले 12 वर्षों में मंदिर के अनुसार रथ यात्रा नहीं हो सकती और यह अराजकता पैदा करेगा.

उन्होंने कहा है कि रथ यात्रा को रोकने के लिए कोई भी कदम दैवीय नाराजगी लाएगा. यहां तक कि ब्रिटिश शासन में भी कभी इसे नहीं रोका गया है. रथ यात्रा कोविड-19 के प्रसार के किसी भी अवसर के बिना की जा सकती है और भगवान जगन्नाथ की अनुष्ठान और संस्कृति को सम्मानित किया जाएगा. यात्रा पर रोक के कोर्ट के आदेश के बाद पूरे ओडिशा में गुस्सा है. पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा केवल पुरी में श्रीमंदिर से लेकर श्री गुंडिचा मंदिर तक सेवायत द्वारा की जा सकती है. पूरे पुरी जिले को बंद कर आम जनता की भागीदारी को रोका जा सकता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संकट के चलते ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा निकालने और उससे जुड़ी गतिविधियों पर कल गुरुवार को रोक लगा दी थी. यह यात्रा 23 जून को होनी थी. रथयात्रा में 10 से 12 लाख लोगों के जमा होने की उम्मीद थी. यह यात्रा कार्यक्रम करीब 10 दिन चलता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए आदेश जरूरी है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ से माफ़ी मांगी. चीफ़ जस्टिस ने कहा कि  "अगर हम इसकी इजाजत देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे. महामारी के समय ऐसे आयोजन नहीं हो सकते हैं. लोगों के स्वास्थ्य के लिए आदेश जरूरी."

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सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह एक एनजीओ ने याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार यात्रा पर रोक के आदेश का फ़ैसला नहीं ले पा रही है और यात्रा की तैयारियों का काम बड़े जोरों से चल रहा है जिसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटेगी जिससे कोरोना महामारी और फैलेगी.