मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस (फाइल फोटो)
मुंबई:
नेशनल हेरॉल्ड की जगह पर कमर्शियल इमारत के निर्माण का मामला अब जांच के दायरे में आ चुका है। महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सूबे के मुखिया देवेन्द्र फडणवीस ने इसका ऐलान किया। 1983 में अखबार के दफ्तर के लिए मुम्बई के बांद्रा इलाके में 3478 वर्ग मीटर का प्लाट दिया गया था।
मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार ने सदन में बहस के दौरान दावा किया कि नेशनल हेराल्ड के लिए एसोसिएट जर्नल को दिए गए प्लाट के इस्तेमाल में कई गलतियां हुई हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए।
आरटीआई से हुए खुलासे में साफ है कि मुंबई के बांद्रा पूर्व में दिए गए प्लाट का आवंटन से अब तक का उसका सफर विवादित है। मूलतः पिछड़े वर्ग के छात्रावास के लिए यह प्लाट आरक्षित था। उस आरक्षण को हटाकर एसोसिएट जर्नल्स को दिया गया। साथ ही इससे जुड़े टैक्स को भी माफ किया गया। ये फैसले तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने लिए। यही क्या कम था कि मूल प्लाट के एक हिस्से को अलग कर कांग्रेसी नेताओं ने खुद के लिए रिहायशी बिल्डिंग बना दी।
महाराष्ट्र सरकार अपनी जांच के दायरे में इन तमाम बातों को जोड़ सकती है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सदन को आश्वस्त किया है कि मामले की अब जांच होगी। जांच के ऐलान के बाद उसके दायरे में अपने कई नेता फंसते देख स्थानीय कांग्रेस इस पर अपना तर्क दे रही है। मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने संवाददाताओं से कहा कि नेशनल हेरॉल्ड को लेकर जांच के आदेश देना एक राजनीतिक प्रतिशोध है।
उधर नेशनल हेरॉल्ड की मुम्बई की जमीन का गड़बड़झाला आरटीआई से उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि अगर सही दिशा में जांच हुई तो इससे होने वाले कई खुलासे कांग्रेस को परेशान कर सकते हैं।
मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार ने सदन में बहस के दौरान दावा किया कि नेशनल हेराल्ड के लिए एसोसिएट जर्नल को दिए गए प्लाट के इस्तेमाल में कई गलतियां हुई हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए।
आरटीआई से हुए खुलासे में साफ है कि मुंबई के बांद्रा पूर्व में दिए गए प्लाट का आवंटन से अब तक का उसका सफर विवादित है। मूलतः पिछड़े वर्ग के छात्रावास के लिए यह प्लाट आरक्षित था। उस आरक्षण को हटाकर एसोसिएट जर्नल्स को दिया गया। साथ ही इससे जुड़े टैक्स को भी माफ किया गया। ये फैसले तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने लिए। यही क्या कम था कि मूल प्लाट के एक हिस्से को अलग कर कांग्रेसी नेताओं ने खुद के लिए रिहायशी बिल्डिंग बना दी।
महाराष्ट्र सरकार अपनी जांच के दायरे में इन तमाम बातों को जोड़ सकती है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सदन को आश्वस्त किया है कि मामले की अब जांच होगी। जांच के ऐलान के बाद उसके दायरे में अपने कई नेता फंसते देख स्थानीय कांग्रेस इस पर अपना तर्क दे रही है। मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने संवाददाताओं से कहा कि नेशनल हेरॉल्ड को लेकर जांच के आदेश देना एक राजनीतिक प्रतिशोध है।
उधर नेशनल हेरॉल्ड की मुम्बई की जमीन का गड़बड़झाला आरटीआई से उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि अगर सही दिशा में जांच हुई तो इससे होने वाले कई खुलासे कांग्रेस को परेशान कर सकते हैं।
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