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This Article is From Nov 30, 2020

मुंबई : कोरोना महामारी के बीच गिरते पारे ने बेघरों के लिए बढ़ाईं मुसीबतें, मदद को आगे आए समाजसेवी

बढ़ता प्रदूषण और उस पर कोविड संक्रमण का ख़तरा फुटपाथ पर सोने वालों के लिए चिंता का कारण बन गया है. ऐसे में कई संस्थाएं रात में ‘कम्बल ड्राइव’ चला रही हैं.

मुंबई : कोरोना महामारी के बीच गिरते पारे ने बेघरों के लिए बढ़ाईं मुसीबतें, मदद को आगे आए समाजसेवी
कोरोना के खतरे के बीच गिरते पारे में बेघर लोगों की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

महानगर मुंबई वैसे तो आमतौर पर ठंड के प्रकोप से बची रहती है लेकिन ज़रा सा गिरता पारा भी यहां के लिए मुश्किल ले आता है.सबसे ज़्यादा मुश्किल होती है सड़कों पर रहने वाले बेसहारों को. गिरता पारा, बढ़ता प्रदूषण और उस पर कोविड संक्रमण (Covid-19 Infection) का ख़तरा फुटपाथ पर सोने वालों के लिए चिंता का कारण बन जाता है. ऐसे में कई संस्थाएं रात में ‘कम्बल ड्राइव' चला रही हैं. कोरोना के ख़ौफ़ के बाद मुंबई की सड़कें आज भी हज़ारों बेघरों का आशियाना हैं. ये बरसों से इनका ठिकाना रही हैं हैं..आज भी है. लेकिन तापमान में गिरावट, वायु प्रदूषण और कोरोना संक्रमण के ख़तरे के बीच रात में सड़कों को अपना ठिकाना बनाने वाले इन बेघर लोगों (Homeless People)के लिए मुंबई के जानकार चिंतित हैं. 

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फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल वाशी के डॉ. चंद्रशेखर तुलसीगिरी कहते हैं, ‘'गिरता तापमान, प्रदूषण जैसे कुछ कारणों से बेघर गरीब लोगों में अगर फैला है तो ज़ाहिर सी बात है इनके पास हॉस्पिटल बगैरह की फ़ैसिलिटी नहीं होगी. इसके कारण इन लोगों के लिए प्रशासनिक कदम उठाना ज़रूरी है.'' लॉकडाउन में इन बेसहारों की परेशानियों को कम करने के लिए कई समाजसेवी संस्‍थाएं आगे आई हैं. इनको भोजन मुहैया करवा रहे कई समाजसेवक अब एक साथ रात में निकलकर इन्हें कम्बल बांट रहे हैं. 'मिशन हेल्‍प' समाजसेवी संस्‍था से जुड़े शकुन पटेल कहते हैं, ‘'हम नॉर्मल लोगों को नहीं बल्कि जो रोड पर लावारिस की तरह रहते हैं. जो सड़कों पर सोते हैं और उनके पास कोई विकल्प नहीं है, औरतों-बच्‍चों को प्राथमिकता के आधार पर मदद मुहैया कराते हैं. पहले हम सर्वे पर निकलते हैं देखते हैं, कहां वास्‍तव में ज़रूरत है? कई बार आम लोग भी बैठे हुए रहते हैं तो हमारा टारगेट ये नहीं हैं.''

आइए, एक-एक ज़िन्दगी बचाएं, बेघरों के लिए कम्बल दान करें

दाउदी बोहरा कम्‍युनिटी के समाजसेवक मुस्तफ़ा जयपुरवाला बताते हैं, ‘'रात को 11 के बाद हम ये ड्राइव शुरू करते हैं. उनको मदद देते हैं जिनको ज़रूरत है.ठंड में कोविड का ख़तरा है इनके पास तो ठंड से भी बचने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए हम ये कम्बल बांट रहे हैं. ताकि ये सिम्प्टम से बचें.'' मुंबई के फुटपाथ ही कई गरीबों के लिए ठिकाना हैं. जैसे-तैसे पेट भर रहे ये लोग, कोरोना और गिरते तापमान के बावजूद खुले में जिंदगी बिताने को मजबूर हैं.लेकिन एक्सपर्ट्स भी मानते हैं की कोविड प्लैन में इनके लिए भी उपाय तलाशने की जरूरत है.  

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