वर्ष 2006 के एक ‘हिट एंड रन’ मामले में दोषी ठहराए जाने के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखने और जमानत रद्द किए जाने के बाद एलिस्टर परेरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में सोमवार को आत्मसमर्पण कर दिया।
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मुंबई पुलिस का कहना है कि कि उन्हें उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति नहीं मिली है इसलिए वह परेरा को गिरफ्तार नहीं कर सकती।
पुलिस उपायुक्त प्रताप दिघावकर ने रविवार को कहा ‘आदेश की प्रति पुलिस को मिलने के बाद ही हम कार्रवाई कर सकते हैं।’
12 नवंबर 2006 को शराब के नशे में तेज रफ्तार से कार चलाते हुए सात लोगों को कुचल कर मार डालने के मामले में मुंबई के व्यवसायी परेरा को बंबई उच्च न्यायालय ने 2007 में दोषी ठहराया था और उसे तीन साल की सजा सुनाई थी।
उच्चतम न्यायालय ने 12 जनवरी को इस फैसले को बरकरार रखा लेकिन कहा अपराध को देखते हुए सजा बहुत कम है। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि परेरा की सजा इसलिए नहीं बढ़ाई जा सकती क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने इसे चुनौती नहीं दी है।
न्यायालय ने परेरा की जमानत रद्द कर उसे उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई शेष सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था।
निचली अदालत ने परेरा को छह माह की सजा सुनाई थी लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे बढ़ा कर तीन साल कर दिया था और परेरा को पांच लाख रूपये जुर्माने की सजा भी सुनाई थी।
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