भारत में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए साल 2017 में मिशन इलेवन मिलियन (Mission Eleven Million) नाम के एक कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इस कार्यक्रम की हकीकत 18 साल की फुटबॉल खिलाड़ी मैरी नायडू (Marry Naidu) की मौजूदा स्थिति खूब बयां कर रही है. मैरी नायडू को खुद प्रधानमंत्री (PM Modi) सम्मानित कर चुके हैं लेकिन मौजूदा हालात ये है कि यह खिलाड़ी फुटपाथ पर परिवार के साथ जिंदगी गुजारने को मजबूर है. मैरी इन दिनों मुंबई (Mumbai) के किंग सर्किल के एक फुटपाथ पर अपने माता-पिता और छोटी बहनों के साथ रह रही हैं. कुछ दिनों पहले तक वह पास ही के झुग्गियों में रहा करती थीं लेकिन BMC ने इसे अनाधिकृत बताकर तोड़ दिया. जिसमें न सिर्फ मैरी की किताबें नष्ठ हो गईं बल्कि वह मेडल और सर्टिफिकेट भी गायब हो गए जो उन्हें अपनी प्रतिभा की वजह से मिले थे.
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फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने के बावजूद मैरी नायडू का जज्बा डिगा नहीं है. इन परेशानियों में घिरी होने के बावजूद मैरी सिर्फ देश के लिए खेलने का सपना पूरा करना चाहती हैं. वह कहती हैं कि लड़कियों की टीम फुटबॉल में काफी पीछे है, मेरा सपना है कि मैं अपने देश के लिए खेलूं और टीम को आगे ले जा सकूं, मैरी कहती हैं कि वह चाहती हैं कि उन्हीं की तरह उनकी दोनों बहने भी देश के लिए खेलें और भारत का रौशन करें.
साल 2017 में पीएम मोदी ने मिशन इलेवन मिलियन कार्यक्रम के तहत देशभर की 11 महिला फुटबॉलरों को सम्मानित किया था, जिसमें से एक मैरी भी थीं. मैरी के पिता बताते हैं कि जब बेटी को सम्मानित किया गया तब भी परिवार की हालत ठीक नहीं थी. कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी पिता कहते हैं कि इस सम्मान के बाद तमाम नेताओं ने वादे किए थे लेकिन किसी भी नेता द्वारा किया गया वादा पूरा नहीं किया गया. बता दें कि मैरी की दोनों बहनें भी खिलाड़ी हैं, जोकि बैडमिंटन और हॉकी खेलती हैं और तीनों ही बहनें तिरंगे के सम्मान को बढ़ाने का सपना देख रही हैं.
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