सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की आरे कॉलोनी में ‘मेट्रो कार शेड’ बनाने के लिए पेड़ काटे जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है और इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख नियत की है. इस इलाके में करीब 2700 पेड़ों को काटने से बचाने के लिए प्रदर्शन भी हुआ था जिसके समर्थन में बॉलीवुड इंडस्ट्री के लोग भी खड़े थे. इस मामले में बीजेपी जहां विकास के नाम पर पेड़ों के काटने के पक्ष में खड़ी थी और दावा कर रही थी बदले में कई पेड़ लगाए गए हैं तो शिवसेना सरकार के इस फैसले खिलाफ थी. प्रदर्शन के दौरान शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी सहित 29 लोगों को हिरासत में लिया गया था. इससे पहले हाईकोर्ट ने यहां पर पेड़ों को काटने से रोकने से इनकार कर दिया था और दो दिन के भीतर ही करीब कई पेडों के काटे जाने की खबर है. इसी बीच छात्रों के एक संगठन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है.
5 बड़ी बातें
- जस्टिस अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष पीठ ने कहा कि 'अब कुछ भी ना काटें.' इस पूरे मामले की समीक्षा करनी होगी.
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि इलाके का एक या 2 फीसदी भी वन क्षेत्र में आता है तो पेड़ नहीं काटे जा सकते हैं. कोर्ट के आदेश की यह बात सबसे अहम है.
- याचिकाकर्ता ने कहा कि आरे के जंगल को राज्य सरकार द्वारा 'अवर्गीकृत वन' समझा गया और पेड़ों की कटाई अवैध है.
- पीठ ने कहा कि आरे वन एक विकास क्षेत्र नहीं है और ना ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र है, जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है.
- पूरे रिकॉर्ड की जानकारी न होने की सॉलिसिटर जनरल की अपील पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले पर फैसले तक आरे में कुछ भी काटा नहीं जाएगा. पीठ ने कहा कि याचिका पर 21 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
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