नई दिल्ली:
पार्टी से बर्खास्तगी होने पर सांसदों के लिए पार्टी द्वारा जारी व्हिप को मानना जरूरी है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस मसले पर सुनवाई करने का फैसला किया है. जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजते हुए बड़ी पीठ का गठन करने का आग्रह किया है. समाजवादी पार्टी के निष्कासित सांसद अमर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह कानूनी प्रश्न उठाया है. याचिका में सवाल उठाया गया कि यह स्पष्ट करना जरूरी है कि पार्टी द्वारा व्हिप को नहीं मानने पर बर्खास्त सांसदों को संविधान की अनुसूची-10 (दल विरोधी कानून) के तहत अयोग्य ठहराया जा सकता है या नहीं?
अखिलेश यादव ने गत एक जनवरी को अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया था. अमर सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल चार जुलाई, 2022 तक है. अमर सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने पीठ को बताया कि गत वर्ष तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस कानूनी मसले को 'ओपन रखा था, इसलिए अमर सिंह ने फिर यह मुद्दा उठाया था. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक पुराने उस आदेश पर फिर से विचार से इनकार कर दिया था कि जिसमें कहा गया कि निर्वाचित या मनोनीत सांसदों केलिए बर्खास्तगी के बाद भी पार्टी का व्हिप मानना जरूरी है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अखिलेश यादव ने गत एक जनवरी को अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया था. अमर सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल चार जुलाई, 2022 तक है. अमर सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने पीठ को बताया कि गत वर्ष तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस कानूनी मसले को 'ओपन रखा था, इसलिए अमर सिंह ने फिर यह मुद्दा उठाया था. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक पुराने उस आदेश पर फिर से विचार से इनकार कर दिया था कि जिसमें कहा गया कि निर्वाचित या मनोनीत सांसदों केलिए बर्खास्तगी के बाद भी पार्टी का व्हिप मानना जरूरी है.
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