जब बहस कराने के लिए घंटों होती रही बहस

संसद भवन का फाइल फोटो

नई दिल्ली:

हमारे सांसद बहस करने में तो माहिर हैं ही, लेकिन बहस पर बहस कैसे की जाती है ये गुरुवार को राज्यसभा में दिखा जब घंटों तक इस बात पर चर्चा हुई कि किसानों की बदहाली पर कैसे चर्चा हो।

सभापति हामिद अंसारी ने विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद और दूसरे सांसदों की ओर से दिए गए काम रोको प्रस्ताव नोटिस को स्वीकार कर किसानों की दुर्दशा पर बहस की इजाज़त दे दी, लेकिन सांसद बड़ी देर तक ये ही तय नहीं कर पाए कि बहस किस नियम के तहत हो और किस पार्टी से कौन-कौन बोले।
 
सरकार ने कहा कि वह बहस के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष के सांसद प्रधानमंत्री से जवाब की मांग करते देखे गए। इस बीच नरेश अग्रवाल यह कहते सुने गए कि यह कई मंत्रालयों का मामला है और एक मंत्री से बात नहीं बनेगी।

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बहस के नुख्तों पर होती इस बहस से एक बार तो उप-सभापति पीजे कुरियन झल्ला गए और उन्होंने कहा, ‘मैं क्या करूं, बताइये मैं क्या करूं’
 
बहस कैसे हो इस पर बहस करते-करते दोपहर के तीन बज गए। तब तक किसानों की समस्या पर सांसद दो घंटे से अधिक बोल चुके थे।
 
सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा, सरकार बहस के लिए तैयार है और सांसद बहस कैसे हो उस पर बोलते हुए वही बात कह रहे हैं जो बहस में बोलेंगे। संसदीय कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सरकार बहस के लिये तैयार है और तुरंत बहस शुरू हो।
 
एक बार तो ऐसा लगा कि अब सोमवार को ही ये बहस हो पाएगी, लेकिन फिर तीन बजे के बाद किसानों की दुर्दशा पर बहस शुरु हो पाई।