इस साल भी सामान्य से कम रह सकता है मानसून

नई दिल्ली : भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का अनुमान है कि पिछले साल की तरह इस बार भी मानसून के सामान्य से कम रहने की संभावना है और विभाग ने इसके लिए अल नीनो कारक को आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया है।

विभाग ने कहा कि कम वर्षा से पश्चिमोत्तर और मध्य भारत के हिस्सों पर सबसे अधिक असर पड़ने की संभावना है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हषर्वर्धन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मानसून दीर्घकालिक औसत का 93 फीसदी रहेगा जो सामान्य से कम है।

आईएमडी के मापदंड के अनुसार 90 फीसदी निम्न वर्षा, 90-96 फीसदी सामान्य से कम वर्षा और 96-100 फीसदी को सामान्य या उससे अधिक वर्षा कहा जाता है। हालांकि हषर्वर्धन ने यह कहने से इनकार कर दिया कि इस साल सूखे जैसी स्थिति होगी या नहीं।

उन्होंने कहा, ‘35 फीसदी संभावना है कि मानसून सामान्य से कम रहेगा, 33 फीसदी संभावना है कि निम्न वर्षा होगी तथा 28 फीसदी संभावना है कि सामान्य वर्षा होगी। केवल एक फीसदी संभावना है कि अधिक वर्षा होगी।’

उन्होंने कहा, ‘कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को इस अनुमान से अवगत करा दिया गया है ताकि वे भावी संभावनाओं के लिए तैयारी कर सकें।’ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव शैलेष नायक ने कहा, ‘कम वर्षा का पश्चिमोत्तर और मध्य भारत के हिस्सों पर असर होगा।’

पिछले साल भारत में दीर्घकालिक औसत की 88 फीसदी ही बारिश हुई थी तथा पश्चिमोत्तर क्षेत्र के राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभावित हुए थे।

आईएमडी के दीर्घकालिक अनुमान विभाग के प्रमुख डीएसपाई ने कहा, ‘यहां एक विशिष्ट अल नीनो लक्षण है जहां पश्चिमोत्तर भारत एवं मध्य भारत में कम वर्षा होगी। 70 फीसदी संभावना है कि अल नीनो मानसून के दौरान निरंतर बना रहेगा।’

आईएमडी निदेशक जनरल लक्ष्मण राठौड़ ने कहा, ‘पिछले 14 सालों में अल नीनो के कारण आठ बार वर्षा सामान्य से कम रही। अल नीनो के प्रभाव को इस साल के अनुमान में शामिल किया गया है।’ अल नीनो गर्म समुद्री जल के बैंड से जुड़ा है जो दक्षिण अमेरिका के प्रशांत तट समेत मध्य एवं पूर्व मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में पैदा होता है। यह मौसम पैटर्न एवं वर्षा पर भी असर डालता है।

यह लगातार दूसरा साल है जब भारत में कम वर्षा हो सकती है। पिछले साल देश में 88 फीसदी ही वर्षा हुई थी जो आईएमडी मापदंड के अनुसार निम्न वर्षा है। हषर्वर्धन ने कहा कि कृषि मंत्रालय किसानों को बेहतर तैयारी की जरूरत की सूचना देगा क्योंकि वे इस साल के प्रारंभ में बेमौसम बारिश की वजह से हुए फसलों को नुकसान से पहले से ही बेहाल हैं।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

हालांकि अधिकारियों ने कहा कि प्रमुख खरीफ फसल धान पर इस सीजन में कम वर्षा का प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। राठौड़ ने कहा, ‘धान की ज्यादातर देश के पश्चिमोत्तर और दक्षिण हिस्सों में खेती होती है जहां सामान्य वर्षा होने की संभावना है।’ संयोग से एक निजी मौसम अनुमान एजेंसी स्काईमेट ने अनुमान लगाया है कि इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य रहेगा और उत्तर भारत के कई हिस्सों में अच्छी वर्षा होगी जबकि दक्षिण भारत के हिस्सों में कम वर्षा हो सकती है जो आईएमडी के अनुमान के विपरीत है। भारत में 75 प्रतिशत वर्षा जून और सितंबर के बीच होती है।