Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के भाई अग्रसेन गहलोत (Agrasen Gehlot) को पूछताछ के लिए दूसरा नोटिस भेजा है. अग्रसेन गहलोत को पूछताछ के लिए चार अगस्त को बुलाया गया है. आज अग्रसेन गहलोत का बेटा ED मुख्यालय आया था. अग्रसेन गहलोत के बारे में उनके बेटे ने ED को बताया गया कि उनके पिता की तबियत खराब है इसलिए आज पूछताछ के लिए ED मुख्यालय नहीं आए.
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अग्रसेन गहलोत को समन भेजा था. ईडी ने यह समन कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस के लिए जारी किया था और अग्रसेन गहलोत को बुधवार को पूछताछ के लिए बुलाया था. ईडी ने अग्रसेन गहलोत को यह समन 2007-2009 के दौरान उर्वरक निर्यात घोटाले से जुड़े एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले के लिए जारी किया था. गत 22 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय ने इस सिलसिले में उनकी संपत्तियों की तलाशी भी ली थी. न्यूज एजेंसी PTI ने बताया कि जांच एजेंसी ने राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात और दिल्ली में फैले 13 स्थानों पर भी छापे मारे थे.
उर्वरक घोटाला यूपीए सरकार के समय 2007 से लेकर 2009 के बीच हुआ था. इस मामले में केन्द्रीय जांच एजेंसी DRI यानी राजस्व खुफ़िया निदेशालय (Directorate Of Revenue Intelligence) द्वारा दर्ज मामले को आधार बनाते हुए ईडी ने मामला दर्ज किया था. दरअसल ये अग्रसेन गहलोत पर ये आरोप है की उनकी कंपनी अनुपम कृषि पर पोटाश यानि उर्वरक को रखने और उन्हे किसानों के बीच वितरित करने की ज़िम्मेदारी थी.
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इंडियन पोटाश लिमिटेड ने विदेश से पोटाश आयात कर सरकारी सब्सिडी के साथ सस्ते में अनुपम कृषि नाम की कंपनी को दे दिया गया, लेकिन आरोप है कि सब्सिडी वाले सस्ते उर्वरक को किसानों को देने की वजाय उसे निर्यात कर दिया गया. निर्यात करने के लिए अग्रसेन गहलोत द्वारा फर्जी दस्तावेज़ों का सहारा लिया गया, जिससे काफी मुनाफ़ा अग्रसेन गहलोत गहलोत और उसकी कंपनी को हुआ.
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मामले का खुलासा 2013 में हुआ था. इस मामले में उस समय कस्टम विभाग ने कार्रवाई करते हुए अग्रसेन गहलोत की कंपनी पर करीब 7 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसी महीने कस्टम विभाग ने इस मामले पर प्रोसीक्यूशन कंपलेंट दाखिल की थी, जिसमें गहलोत के खिलाफ आरोप काफी गंभीर का जिक्र है. इसके साथ ही इस बात का भी जिक्र है कि अग्रसेन गहलोत इसे किसानों के लिए वितरित करने के बजाय निर्यात के लिए सर्राफ इंपेक्स को दे दिया.
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