
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे
- बेंगलुरु के मेट्रो स्टेशनों के नाम हिंदी में लिखे होने का विरोध
- वेदिके ने नए सिरे से शुरू किया है हिंदी विरोधी आंदोलन
- आरोप है, केंद्र सरकार जानबूझकर हिंदी थोप रही है
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अपने आंदोलन को दिशा देने के लिए वेदिके ने बेंगलुरु में शनिवार (15 जुलाई 2017) को एक संगोष्ठी का आयोजन किया है. इसमें DMK, AIADMK समेत MNS भी शरीक होगी. राज ठाकरे ने पार्टी प्रवक्ता एवं महासचिव संदीप देशपांडे को इस संगोष्ठी में भेजने का फैसला लिया है. देशपांडे ने NDTV इंडिया से बात करते हुए कहा, 'देश को त्री भाषा सूत्र की जरूरत नहीं है. उससे अच्छा है कि हम द्वी भाषा सूत्र का अमल करें, जिसमें प्राथमिकता राज्य की भाषा को मिले और उसके बाद विदेशी या दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाए.'
मालूम हो कि शिवसेना से बगावत कर अलग दल बनाने वाले राज ठाकरे ने आक्रामक हिंदी विरोधी भूमिका तब जाकर ली जब विकास के मुद्दे पर लड़े गए बीएमसी चुनाव में उनकी पार्टी को करारी शिकस्त मिली थी. 2007 के इन नतीजों ने एमएनएस को झकझोरकर रख दिया. इसके बाद हिंदी विरोध के बदौलत ही पार्टी ताकतवर बनकर उभरी थी.
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