विज्ञापन
This Article is From Nov 20, 2020

पिंजरे में बंद पंछी को खुला आसमान दिलाने का मिशन 'पंख', 20 हजार से ज्यादा तोतों को मिल चुकी है आजादी

भोपाल में एक शख्स अपने सहयोगियों के साथ सालों से एक मिशन में लगे हैं पिंजरे में बंद पंछी को खुला आसमान देना. इसके लिये कहीं शिकायत नहीं करते बल्कि उन घरों में जाते हैं, लोगों को समझाते हैं.

पिंजरे में बंद पंछी को खुला आसमान दिलाने का मिशन 'पंख', 20 हजार से ज्यादा तोतों को मिल चुकी है आजादी
पक्षियों को आजाद करने के लिए मिशन पंख चलाया जा रहा है.
भोपाल:

भोपाल में एक शख्स अपने सहयोगियों के साथ सालों से एक मिशन में लगे हैं पिंजरे में बंद पंछी को खुला आसमान देना. इसके लिये कहीं शिकायत नहीं करते बल्कि उन घरों में जाते हैं, लोगों को समझाते हैं. भोपाल में पेशे से व्यवसायी धर्मेंद्र बीते 20 साल से तोतों को पिंजरों से मुक्ति दिलाने के काम में लगे हैं. वे इसके लिए मिशन पंख चला रहे हैं और इसके जरिए अब तक 20 हजार से ज्यादा तोतों को पिंजरे से आजादी दिला चुके हैं.

एक दिन मिशन पंख से जुड़े धर्मन्द्र शाह अशोक सिंह के घर आए और पिंजरे का दर्द बताया. इसके बाद अशोक ने उनकी बात समझी और मिठ्ठू को खुले आसमान में उड़ने का मौका मिल गया. अशोक सिंह ने कहा, 'हमें बहुत अच्छा लग रहा है पिंजरे से पक्षी को मुक्त करवाया है. जब लेकर आए तो सर बहुत टकराता था, पंजे मारता था बहुत अजीब लगता था.'

यह भी पढ़ें: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, मध्यप्रदेश उपचुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय यदि किसी को जाता है तो...

अद्विका सिंह ने कहा,'मुझे बहुत अच्छा लगा, पहले मुझे मन नहीं था लेकिन जब उड़ते देखा तो बहुत अच्छा लगा. धर्मेंद्र की मां, उषा शाह अपने पैसों से पक्षी खरीदकर उन्हें पिंजरे से आजादी दिलाती थीं, अब बेटा लोगों को जागरूक बना रहा है.

धर्मेन्द्र शाह ने कहा, 'एक कंठी तोता है उसकी नस्ल एकदम खत्म होने वाली है. हम नहीं चेते तो 2-4 साल में देखने को नहीं मिलेगा जैसे गौरेया खत्म होती गई.' धर्मेन्द्र कहते हैं एक साल से पिंजरे में कैद पक्षी उड़ना भूल जाते हैं. ऐसे में फौरन आज़ादी से इन्हें खतरा हो सकता है. इसलिये पहले उन्हें बड़े पिंजरे में रखकर जीवनशैली बदली जाती है, फिर इनके झुंड के पास तोते को उड़ाते हैं और रोज जाकर देखते भी हैं. उम्मीद है इस मिशन से ऐसे ही मिठ्ठू खुले में उड़ते रहें ... पंख फैलाए..

कवि प्रदीप ने लिखा है, 'पिंजरे के पंछी तेरा दर्द ना जाने कोय, बाहर से खामोश रहे तू भीतर-भीतर रोय, तेरा दर्द ना जाने कोय, कह ना सके तू अपनी कहानी तेरी भी पंछी क्या जिंदगानी रे, विधि ने तेरी कथा लिखी आंखों में कलम डुबोय.'

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com