भारत ने मॉस्को से कहा, पाकिस्तान के साथ रूस का सैन्य अभ्यास दिक्कतें बढ़ाएगा

भारत ने मॉस्को से कहा, पाकिस्तान के साथ रूस का सैन्य अभ्यास दिक्कतें बढ़ाएगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन

खास बातें

  • हमने रूस को अपने विचारों से अवगत करा दिया है : पंकज सरन
  • ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति भारत आने वाले हैं
  • 'भारत-रूस की साझेदारी दुनिया में शांति और स्थायित्व का सूत्रपात है'
नई दिल्ली:

भारत ने रूस को बता दिया है कि जो राष्ट्र आतंकवाद को पाल रहा है और बढ़ावा दे रहा है उसके साथ साझा सैन्य अभ्यास भविष्य में दिक्कतें ही पैदा करेगा. यह बात भारत ने मॉस्को से उसके पाकिस्तान के साथ साझा सैन्य अभ्यास को लेकर कही.

रूस की समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती के साथ एक इंटरव्यू में भारत के अंबेसेडर ने पंकज सरन ने कहा कि हमने रूस को अपने विचारों से अवगत करा दिया है. हमने कहा कि जो देश आतंकवाद को बढ़ाना देने को अपनी राष्ट्रीय नीति का हिस्सा मानता हो उसके साथ साझा सैन्य अभ्यास भविष्य में मुसीबतें से खड़ा करेगा.

14 अक्टूबर को गोवा में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भारत आने वाले हैं. यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच मुलाकात होगी और इस मुलाकात से पहले भारतीय अंबेसेडर का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

पिछले माह पहली बार भारत ने रूस और पाकिस्तानी सेनाओं के साझा सैन्य अभ्यास पर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया में नाराजगी जाहिर की थी. भारत की प्रतिक्रिया पर रूस ने ज्यादा तवज्जो ने देते हुए साफ कहा था कि इस प्रकार का सैन्य अभ्यास दूसरे देशों के साथ भी चलता रहता है.

सरन ने कहा कि यह कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में बात होगी.

भारत और रूस के बीच संबंधों पर अपनी बात रखते हुए सरन ने कहा कि दोनों देश एक दूसरे से लिए रणनीतिक साझीदार हैं और खास जगह रखते हैं. साथ ही उन्होंने ने कहा कि इसमें कोई बदलाव नहीं आया है, बल्कि सैन्य और तकनीक के क्षेत्र में समय के साथ यह मजबूत ही हुआ है.

सरन ने कहा कि भारत-रूस की साझेदारी दुनिया और क्षेत्र में शांति और स्थायित्व का सूत्रपात है.

भारतीय राजदूत पंकज सरन ने कहा कि हम पिछले कई सालों से रूस के साथ इस प्रकार का साझा सैन्य अभ्यास कर रहे हैं और यह आगे भी जारी रहेगा. सरन ने भारत और रूस के बीच सिविल न्यूक्लियर सेक्ट के साथ साथ व्यापार और निवेश का भी जिक्र किया.


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