वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दूसरे राज्यों से लौटकर अपने घर आ रहे प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि प्रवासियों मजदूरों को दो महीने तक मुफ्त राशन मिलेगा. विभिन्न राज्यों में मौजूद प्रवासियों, जो NFSA या राज्य कार्डधारक नहीं हैं, को दो माह तक पांच किलोग्राम अनाज प्रति व्यक्ति तथा एक किलोग्राम चना प्रति परिवार उपलब्ध कराया जाएगा. इससे आठ करोड़ प्रवासी लाभान्वित होंगे. इस पर 3,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे, पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी.
वित्त मंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की दूसरी किस्त की घोषणा करते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के पहचान और इस योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी. उन्होंने कहा कि 23 राज्यों में मौजूद 67 करोड़ राशनकार्ड धारक (जो कुल PDS आबादी का 83 फीसदी है) अगस्त, 2020 तक नेशनल पोर्टेबिलिटी के तहत आ जाएंगे. देश के 83 फीसदी राशनकार्डधारक अगस्त तक 'वन नेशन - वन राशनकार्ड' के तहत आ जाएंगे.
सीतारमण ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को किफायती किराये पर घर मिलने में काफी दिक्कत होती है. इसे देखते हुए सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत, प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों के लिए स्कीम पेश करेगी ताकि उन्हें किफायती किराये पर घर उपलब्ध कराया जा सके.
वित्त मंत्री ने कहा कि रेहड़ी-पटरी और खोमचे वालों के लिए विशेष ऋण योजना लॉन्च की जाएगी. 50 लाख खोमचे वालों के लिए 5,000 करोड़ का प्रावधान किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के जरिये काम दिया जा रहा है. 2.33 करोड़ मजदूरों को मनरेगा के तहत काम मिला है. श्रम कानून के सुधार पर काम चल रहा है. देश में न्यूनतम वेतन का लाभ सिर्फ 30 फीसदी लेबर ही उठा पाते हैं. न्यूनतम मजदूरी का भेदभाव खत्म किया जाएगा. मनरेगा की दिहाड़ी मजदूरी को 182 से बढ़ाकर 202 रुपये किया गया है: श्रम कानून में सुधार पर काम किया जा रहा है. अपने राज्यों में लौटे मजदूरों को काम दिया जाएगा:
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