गवर्नर सी विद्यासागर राव ने राज्य के हालात को लेकर तीन न्यायविदों से राय ली थी...
नई दिल्ली:
तमिलनाडु में चल रही खींचतान को लेकर राज्य के गवर्नर सी विद्यासागर राव ने जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है, उसमें साफ़ किया है कि उन्होंने राज्य के हालात को लेकर तीन लोगों से राय ली थी और सबने उन्हें ये सलाह दी की एक हफ़्ते के अंदर उन्हें दूसरी सरकार तमिलनाडु में बना लेनी चाहिए. NDTV इंडिया को केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गवर्नर ने मौजुदा अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, पूर्व अटॉर्नी जनरल मोहन परसरन और सोली सोराबजी से सलाह ली थी.
मुकुल रोहतगी और मोहन परसरन ने सलाह दी कि वह विधानसभा में बहुमत परीक्षण करवाएं ताकि यह पता चल सके कि बहुमत कार्यवाहक मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम के पास है या पार्टी महासचिव वीके शशिकला के साथ. अटॉर्नी जनरल से सुझाव दिया है कि राज्यपाल द्वारा एक सप्ताह के अंदर तमिलनाडु विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जाए और फ्लोर टेस्ट करवाया जाए.
दोनों ने अपने सुझाव में 1998 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में जगदंबिका पाल और कल्याण सिंह के बीच हुए फ्लोर टेस्ट का हवाला दिया है. उन्होंने कहा है कि उसी तर्ज पर तमिलनाडु में भी बहुमत परीक्षण कराए जाना चाहिए.
"यदि एक ही दावेदार है तो राज्यपाल उसे शपथ दिला सकते हैं और उसे अपना बहुमत साबित करने को कह सकते हैं. यदि दावेदार दो हैं तो राज्यपाल को शक्ति परीक्षण कराना चाहिए. वर्ष 1998 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर जगदंबिका पाल और कल्याण सिंह में से किसी एक का बहुमत तय करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था." रिपोर्ट में लिखा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक़ चूंकि गवर्नर ख़ुद भी एक वक़ील हैं और साथ में केंद्र में गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं, इसीलिए उन्हें ख़ुद इन सभी क़ानूनी दांव-पेंच के बारे में पूरी जानकारी है. गृह मंत्रालय के मुताबिक गवर्नर को इस मामले पर तत्काल ध्यान देकर सरकार गठित करवाने के लिए कहा गया है.
दरअसल तमिलनाडु के कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम शशिकला के खिलाफ बगावत का बिगुल छेड़े हुए हैं. इसीलिए गवर्नर ने ये सलाह मांगी थी. मंत्रालय के मुताबिक़ अब वो उसी को आधार बनाकर करवाई कर रहे हैं.
मुकुल रोहतगी और मोहन परसरन ने सलाह दी कि वह विधानसभा में बहुमत परीक्षण करवाएं ताकि यह पता चल सके कि बहुमत कार्यवाहक मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम के पास है या पार्टी महासचिव वीके शशिकला के साथ. अटॉर्नी जनरल से सुझाव दिया है कि राज्यपाल द्वारा एक सप्ताह के अंदर तमिलनाडु विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जाए और फ्लोर टेस्ट करवाया जाए.
दोनों ने अपने सुझाव में 1998 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में जगदंबिका पाल और कल्याण सिंह के बीच हुए फ्लोर टेस्ट का हवाला दिया है. उन्होंने कहा है कि उसी तर्ज पर तमिलनाडु में भी बहुमत परीक्षण कराए जाना चाहिए.
"यदि एक ही दावेदार है तो राज्यपाल उसे शपथ दिला सकते हैं और उसे अपना बहुमत साबित करने को कह सकते हैं. यदि दावेदार दो हैं तो राज्यपाल को शक्ति परीक्षण कराना चाहिए. वर्ष 1998 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर जगदंबिका पाल और कल्याण सिंह में से किसी एक का बहुमत तय करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था." रिपोर्ट में लिखा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक़ चूंकि गवर्नर ख़ुद भी एक वक़ील हैं और साथ में केंद्र में गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं, इसीलिए उन्हें ख़ुद इन सभी क़ानूनी दांव-पेंच के बारे में पूरी जानकारी है. गृह मंत्रालय के मुताबिक गवर्नर को इस मामले पर तत्काल ध्यान देकर सरकार गठित करवाने के लिए कहा गया है.
दरअसल तमिलनाडु के कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम शशिकला के खिलाफ बगावत का बिगुल छेड़े हुए हैं. इसीलिए गवर्नर ने ये सलाह मांगी थी. मंत्रालय के मुताबिक़ अब वो उसी को आधार बनाकर करवाई कर रहे हैं.
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