फाइल फोटो
नई दिल्ली:
स्वतंत्रता दिवस से पहले केंद्र सरकार ने सभी नागरिकों से प्लास्टिक से बने तिरंगे का उपयोग नहीं करने की अपील की है और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से ध्वज संहिता का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्श जारी कर गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है अतएव उसे सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए.
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मंत्रालय ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के दौरान कागज के तिरंगे के स्थान पर प्लास्टिक के बने तिरंगे का उपयोग किया जाता है. परामर्श में कहा गया है कि प्लास्टिक के ध्वज कागज के झंडे की तरह जैविक रुप से अपघटित होने वाले नहीं होते हैं और वे लंबे समय तक अपघटित नहीं हो पाते हैं, ऐसे में प्लास्टिक के तिरंगे का उपयुक्त निस्तारण झंडे की गरिमा के अनुरुप सुनिश्चित नहीं हो पाता है, यही व्यावहारिक समस्या है. इस तरह का परामर्श हर साल स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस से पहले जारी किया जाता है.
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मंत्रालय ने आठ अगस्त को भी परामर्श जारी किया था. राष्ट्रीय सम्मानों का अपमान रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 2 के अनुसार सार्वजनिक स्थान पर या लोगों की नजर में किसी अन्य स्थान पर कोई राष्ट्रध्वज को जलाता, तोड़फोड़ करता है, विकृत करता है, नष्ट करता है या अन्य तरीके से उसके प्रति असम्मान दिखाता है तो उसे अधिकतम तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है. इसके अलावा जुर्माना भी हो सकता है और कारावास तथा जुर्माना दोनों से भी दंडित किया जा सकता है.
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परामर्श के अनुसार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय , सांस्कृतिक या खेलकूद कार्यक्रमों में बस कागज के तिरंगे का ही इस्तेमाल किया जाए और कार्यक्रम के पश्चात उन्हें जमीन पर फेंका नहीं जाए. इन झंडों का उनकी गरिमा के अनुसार निस्तारण किया जाए. इस बात का इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया से खूब प्रचार -प्रसार किया जाए.
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