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This Article is From Jan 15, 2015

दिल्ली में कड़ाके की ठंड के बीच सड़क पर उतरे मेडिकल के छात्र

नई दिल्ली:

दिल्ली में जहां ठंड में हम घर से बाहर निकलना पसंद नहीं करते हैं, वहीं कुछ मेडिकल  छात्र इस ठंड में जंतर-मंतर पर दो दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टर बन कर अपने परिवार का नाम रोशन करने का सपना देखने वाले ये छात्र हाथ में बैनर लेकर जंतर-मंतर में श्रम मंत्रालय और ईएसआई कारपोरेशन के खिलाफ नारा लगते हुए नज़र आए।

दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते मेडिकल छात्र

उनका कहना है कि ईएसआई कारपोरेशन ने 2010 में कुछ मेडिकल कॉलेज खोलने के बाद दाखिला लिया था। लेकिन अब आगे से दाखिला नहीं होगा जिससे छात्रों का भविष्यअंधकार में जा सकता है।

चलिए जानते हैं क्या है यह मामला -

1. ईएसआईसी सेहत के क्षेत्र में बीमा का काम करता है। 2010 में ईएसआईसी ने  अपने कुछ मेडिकल कॉलेज खोले और बच्चों का एडमिशन लिया।  

2. 1300 से भी ज्यादा युवाओं ने अलग-अलग कोर्स  जैसे एमबीबीएस, बीडीएस, नर्सिंग में दाखिला लिया।

3. 5 जनवरी 2015 को  ईएसआईसी के हेडक्वॉर्टर से एक ज्ञापन जारी किया गया  जिसमें यह बताया गया कि ईएसआईसी पूरी तरह मेडिकल एजुकेशन से अपने आपको को दूर रखेगी क्यूंकि यह उसका कार्यक्षेत्र नहीं है। ईएसआई एक्ट की धारा बी-9 (सेवाएं बेहतर करने के लिए ईएसआई अपने कर्मचारी और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज और ट्रेनिंग संस्थाए खोलेगी) को हटाया दिया जाएगा।

4. अभी जो मेडिकल कॉलेज और मेडिकल एजुकेशन चल रही है, वो राज्य सरकार को  हस्तांतरित कर दी जाएगी। आगे से कोई भी दाखिला नहीं होगा और न ही कोई नया  मेडिकल कॉलेज इस संस्था के अंदर खोला जाएगा।

5. जो भी मेडिकल एजुकेशन प्रोग्राम चल रहे हैं वो तब तक चलते रहेंगे जब तक स्टूडेंट पास आउट न हो जाएं या फिर ज़रूरत पड़ने पर राज्य सरकार के द्वारा सर्टिफिकेट न दे  दिया जाए।  

छात्र क्यों परेशान हैं?

बच्चे जब फ़ेलोशिप के लिए बाहर जाएंगे तो रिकमंडेशन लेटर की जरूरत पड़ती है जो कॉलेज का डीन या विभाग देता है। अगर कॉलेज नहीं रहेगा तो रिकमंडेशन लेटर कौन जारी करेगा? कॉलेज बंद होने के बाद हो सकता है मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया इस कोर्स को मान्यता न दे।

राज्य सरकार अलग इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करती है। अगर अलग इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा तो राज्य सरकार के अंतर्गत आने के लिए दिक्कत हो सकती है।

छात्रों का कहना है कि अगर यह कॉलेज राज्य सरकार के अंदर आ जाएंगे तो उनका  डिमोशन हो जाएगा, केंद्र सरकार के अंदर जो सुविधाएं मिल रही है वो नहीं मिल पाएंगी। हो सकता है कि कॉलेज का नाम भी बदल दिया जाए जिससे वर्तमान छात्रों को भविष्य में दिक्कत पेश आएगी। वहीं, छात्रों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार के अधीन रहेगा तो ऐसी समस्या नहीं आएगी।

छात्र क्या चाहते हैं :
1. ईएसआईसी के अंदर जो मेडिकल कॉलेज है वो राज्य सरकार के अधीन नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अधीन आए और जब तक यह केंद्र सरकार के अधीन नहीं आ जाता तब तक कॉलेज चलता रहे और सारी भर्तियां पूरी की जाएं ताकि मान्यता के लिए निरीक्षण प्रक्रिया में कोई समस्या न आए।

2. स्वास्थ्य मंत्रालय को सारे कोर्स स्थानांतरित कर दिए जाएं।

3. बंद करने का आदेश वापस लिया जाए। कॉलेज चलता रहेगा तो भर्तियां होती रहेंगी।

4. छात्रों को समय पर डिग्री मिले। क्योंकि ऐसे ही मामले में कोलकत्ता में डिग्री पूरी होने की बाद भी कुछ छात्रों को अभी तक सर्टिफिकेट नहीं मिले हैं।

बता दें कि एनडीटीवी ने इस मामले में सरकार और ईएसआईसी से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई समुचित उत्तर नहीं मिला।

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